तो उत्तराखंड के गांवों गलियों में चुनाव ड्यूटी करना शिक्षकों के सम्मान व गरिमा के विरुद्ध है:- केयु के वीसी राणा की यही है तर्क

उत्तरा न्यूज डेस्क
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उत्तरा न्यूज डेस्क:- पहाड़ी राज्य को हासिल करने के लिए भले ही आंदोलनकारियों को शहादत देनी पड़ी हो लेकिन तमाम शहादतों के बाद मिले इस पहाड़ी राज्य के गांव गलियों में जाना यहां के शिक्षकों की गरिमा के विरुद्ध है यही नहीं वह इन शिक्षकों के सम्मान के विपरीत भी है यह चिरपरिचित उद्गार कुमाऊं विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. केएस राणा के हैं, यह वही वीसी हैं जो एकबार उत्तराखंड के नक्शे को अपनी सलाह से परिवर्तित करने का सुझाव दे चुके हैं अबकी बार उन्होंने अपना बहुमूल्य सुझाव पंचायती चुनावों में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों व शिक्षकों की ड्यूटी लगाने को लेकर दिया है|
कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. केएस राणा ने विवि के प्राध्यापकों व कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से बाहर रखने की फिर से सिफारिश की है। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) को इस आशय का पत्र भेजा है। इसकी प्रतिलिपि राज्यपाल, सीएम व प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को भी भेजी है।
पंचायत चुनाव में विवि के 24 प्राध्यापकों सहित कुल 28 अधिकारी व कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई थी। इसे लेकर कुलपति ने डीएम को पत्र भेजा था, लेकिन इस पर जिला प्रशासन के स्तर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इधर, कुलपति प्रो. राणा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि विवि स्वायत्तशासी संस्था है। इसमें कार्यरत शिक्षक एवं कर्मचारी राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। कई कर्मचारी व शिक्षक राजनीतिक पार्टियों से भी जुड़े हैं। चुनाव प्रक्रिया में इनकी भागीदारी से गोपनीयता एवं निष्पक्षता पर प्रभाव पड़ सकता है। विवि स्तर पर पहले से परीक्षा कार्यक्रम तय है। इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्राध्यापक व कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी से परीक्षा प्रभावित होगी। हालांकि उक्त बात तो समझ में आती है लेकिन इसके बाद कुलपति ने जो कहा उसे लेकर लोग नाराजगी जताने लगे है, कुलपति ने पत्र में यह भी कहा है कि विवि के प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर सम्मानित वर्ग में आते हैं। इनको गांव स्तर पर चुनाव ड्यूटी में भेजना उनकी गरिमा के विरुद्ध है। उन्होंने चुनाव आयुक्त से मांग की है कि कुमाऊं विवि के किसी भी शिक्षक को भविष्य में चुनाव एवं मतगणना ड्यूटी से कार्यमुक्त रखने के आदेश जारी करें।
वीसी का यह पत्र अब वायरल भी होने लगा है लोग तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं, उत्तराखंड में यूपी के तीन जिलों को शामिल करने के बयान पर भी वह लोगों व सामाजिक संगठनों की नाराजगी झेल चुके हैं|

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