Uttarakhand Election 2022 – भाजपा से निकाले गए हरक सिंह रावत के पास क्या है विकल्प

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Uttarakhand Election 2022 – उत्तराखण्ड में हर दिन राजनीति नए रंग दिखा रही है। बीते दिवस जहां भाजपा ने उकता कर 2016 में कांग्रेस की सरकार के विध्वसंक रहे हरक सिंह रावत को पार्टी से निकाल दिया वही आज कांग्रेस की महिला प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्या भाजपा में शामिल हो गयी।

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बरहहाल हम इस समय बात करेगें हरक सिंह रावत की। हरक सिंह रावत वर्तमान की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और अपने बयानो के चलते वह हमेशा चर्चा में रहे। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर तो वह आए दिन ऐसे बयान देते थे जिससे भाजपा सरकार असहज हो जाती थी।

अब हरक सिंह भाजपा से बाहर किये जा चुके हैं। और इसके साथ ही उनका भाजपा से रिश्ता फिलहाल खत्म हो चुका है। अब हरक सिंह आशा भरी निगाहों से कांग्रेस की ओर देख रहे है और कल तक कांग्रेस के खिलाफ हमलवार रहने वाले हरक को कांग्रेस में आशा दिखने लगी हैं। उसी कांग्रेस में उन्हें यह आशा दिख रही है जिसकी सरकार को उनके साथ कांग्रेस के 9 विधायकों ने मिलकर गिराने का प्रयास किया था।


यह राजनीति है यहां ना कोई स्थायी दोस्त होता है ना स्थायी दुश्मन। साथ होती है तो सत्ता की यारी। अब भाजपा से बाहर किये जाने के बाद हरक सिंह के पास दो ही विकल्प बचते है। या तो वह कांग्रेस ज्वाइन कर ले और या फिर आम आदमी पार्टी के साथ जाएं जिसकी संभावना फिलहाल दिखाई नही देती।


हरक सिंह के कांग्रेस में जाने की संभावना सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है। लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर साबित होगें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। हरीश रावत पहले ही कह चुके है कि जो लोग सरकार गिराने के महापाप में भागीदार है, वह अगर अपनी गलती मानते है तो उनसे बात की जा सकती हैं।

यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के मामले में ऐसा नही था क्योंकि वह 2017 चुनाव से पहले ही भाजपा में गए थे और भाजपा में रहते हुए भी उन्होने कभी ऐसा बयान नही दिया जिससे कांग्रेसी असहज हो।


सुनी सुनाई है कि हरक सिंह रावत, रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ के साथ कांग्रेस का दामन थाम सकते है। लेकिन क्या कांग्रेस अब उन्हें उतना भाव देगी यह देखना अभी बांकि हैं।

चर्चा यह भी है कि हरक रावत के कांग्रेस में आने में पेंच फंसा हुआ है। एक तो हरक सिंह रावत खुद डोईवाला से टिकट मांग रहे है और साथ ही वह अपनी बहू अनुकृति को लैसडाउन से लड़वाना चाहते हैं। और अगर कांग्रेस इस पर मान जाती है तो दोनो की विधानसभाओं में ऐन चुनाव से पहले बदली परिस्थतियों में पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाना कांग्रेस के लिए आसान नही होगा।

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