देहरादून में पर्वतीय संस्कृति के साथ रामलीला मंचन करती है यह कमेटी

Newsdesk Uttranews
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देहरादून,05 सितंबर 2021— यों तो नवरात्र प्रारम्भ होते ही पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर रामलीलाओं का आयोजन होता है।
तकनीकी गुणवत्ता और नए माध्यमों की उपलब्धता के चलते अब रामलीला का आकर्षक बनाना पहले की तरह कठिन नहीं रहा लेकिन कई स्थानों पर आज भी रामलीला के आयोजन को कर्णप्रिय और पारंपरिक स्वरूप बनाए रखने का प्रयास जारी है।

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देहरादून के धरमपुर में पर्वतीय रामलीला कमेटी अपने प्रयासों से हर साल इसी तरह पर्वतीय संस्कारों से सरोबार रामलीला के आयोजन का कार्य करती है। सीमित संशाधनों में शुरू की गई यह रामलीला आज पर्वतीय समाज के साथ ही अन्य स्थानों के लोगों में भी काफी आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।


पर्वतीय समाज की रामलीला मुख्यत: पारंपरिक स्वरूप गेय पद और कर्णप्रिय धुनों पर आधारित होती है। अपने इसी स्वरूप के चलते यह लगातार लोकप्रिय बनती जा रही है। यहां सभी पात्र एकदम पारंपरिक सुरों में रामलीला का गायन करते हैं। यहां स्क्रिप्ट आ​धारित राम​लीला के प्रस्तुति के बजाय गेय धुन आधारित रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसमें कलाकारों को तराशने के लिए एक लंबी तालीम की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अब रामलीला की तालीम लगभग पूरी हो चुकी है और मंचन प्रस्तुतिकरण के लिए कलाकारों की टीम तैयार है।


रामलीला कमेटी के अध्यक्ष जीवन सिंह बिष्ट, महासचिव मदन मोहन जोशी एवम कोषाध्यक्ष ललित चंद्र जोशी द्वारा रामलीला मंचन के इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में रामभक्तों व श्रद्धालुओं से पहुंचने का आह्वान किया है। उन्होंने बताया है कि पर्वतीय रामलीला कमेटी धरमपुर देहरादून में 7 अक्टूबर से आयोजित होगी।

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