पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश की सियासत में हलचल है, लेकिन गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक सुर में आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखी। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने सभी दलों को पूरी घटना की जानकारी दी। सबसे अहम बात यह रही कि अमित शाह ने सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूक को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “अगर कोई गलती न हुई होती, तो हम आज यहां क्यों होते?”
बैठक में कांग्रेस, एआईएमआईएम, एनसीपी और कई अन्य दलों के नेताओं ने तीखे सवाल किए। राहुल गांधी ने सीधा सवाल उठाया कि जिस जगह हमला हुआ, वहां सुरक्षाबल क्यों नहीं तैनात थे? जवाब में सरकार ने बताया कि यह इलाका सामान्य तौर पर जून में अमरनाथ यात्रा के दौरान खोला जाता है और सुरक्षा तैनाती भी उसी वक्त होती है, लेकिन इस बार कुछ लोकल टूर ऑपरेटर्स ने सरकार को बिना सूचित किए अप्रैल से ही पर्यटकों को वहां ले जाना शुरू कर दिया, जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं थी।
असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि जब हमला हुआ तो प्रतिक्रिया दल को पहुंचने में एक घंटा क्यों लगा? और आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों को क्यों मारा? उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देते हुए पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई की मांग भी की। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाया और कहा कि इतनी संवेदनशील बैठक में उनका होना ज़रूरी था।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सभी राजनीतिक दलों ने सरकार के साथ एकजुटता जताई है और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने पर सहमति दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत सरकार हर जरूरी कदम उठाएगी और पूरा देश इस लड़ाई में एकजुट खड़ा रहेगा।