दिल्ली से मसूरी घूमने आए बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ी, जाम में फंसे तो नहीं बची जान

Advertisements Advertisements मसूरी में घूमने आए दिल्ली के एक साठ साल से ऊपर के बुजुर्ग की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें वक्त पर इलाज…

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मसूरी में घूमने आए दिल्ली के एक साठ साल से ऊपर के बुजुर्ग की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें वक्त पर इलाज नहीं मिल सका जिससे उनकी जान चली गई। बताया गया कि वह अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ मसूरी घूमने आए थे और लाइब्रेरी इलाके के पास एक होटल में रुके थे। मौसम में ठंडक बढ़ गई थी और हल्की बारिश भी हो रही थी तभी उनके सीने में दर्द शुरू हुआ और हालात बिगड़ने लगे। साथ वालों ने एंबुलेंस को कॉल किया लेकिन बताया गया कि उसे मसूरी पहुंचने में काफी देर लग जाएगी तो उन्होंने निजी गाड़ी से अस्पताल के लिए निकलने का फैसला लिया।

गाड़ी से निकल तो गए लेकिन मसूरी के अंदर भारी जाम लगा था। मोतीलाल नेहरू मार्ग से लेकर गांधी चौक तक गाड़ी रेंगती रही। पुलिस ने कोशिश तो की मदद की भी लेकिन जाम इतना ज्यादा था कि रास्ता ही नहीं मिला। करीब पौन घंटे तक जाम में फंसे रहे और इसी बीच बुजुर्ग की हालत और बिगड़ गई। जब तक अस्पताल पहुंचे तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दिल्ली से आए उनके रिश्तेदार अर्जुन कपूर ने बताया कि उनके चाचा कमल किशोर टंडन को लेकर वो खुद गाड़ी में थे और जाम ने सब कुछ बिगाड़ दिया। उन्होंने कहा कि अगर समय पर अस्पताल पहुंच जाते तो शायद जान बच जाती।

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल जब टूरिस्ट सीजन आता है तो मसूरी की सड़कों पर यही हाल हो जाता है। किंग्रेग और गांधी चौक जैसे इलाकों में गाड़ियों की कतार लग जाती है और रास्ता बंद हो जाता है। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि मसूरी के होटलों में प्राथमिक इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि इमरजेंसी में फर्स्ट एड मिल सके। साथ ही ये भी कहा गया कि भारी वाहनों की एंट्री को कंट्रोल किया जाना चाहिए ताकि जाम की स्थिति न बने। पुलिस की तैनाती तो होती है लेकिन इतनी भीड़ में वो भी कुछ नहीं कर पाते। अब सवाल उठता है कि ऐसी जगह जहां हर साल हजारों लोग घूमने आते हैं वहां अगर इलाज और ट्रैफिक को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है तो आम लोगों की जान कैसे सुरक्षित रह पाएगी।