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सफलता की कहानी— पांच साल पहले एक कमरे में शुरू किया था मशरूम उगाने का कार्य,आज स्वालंबी बन उभरी है प्रीति

Newsdesk Uttranews
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मशरूम उत्पादन करने वाले युवाओं को प्रशिक्षण भी देती हैं प्रीति भंडारी

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अल्मोड़ा, 07 अगस्त2020—प्रदेश में 21 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरुस्कार के लिए चयनित किया गया है. जिसमें अल्मोड़ा कि प्रीति भण्डारी को भी तीलू रौतेली पुरुस्कार के लिए चयनित हुई हैं. प्रीति ने अल्मोड़ा में सफलता पूर्वक मशरूम की खेती कर स्वालंबन का मुकाम हासिल किया है.

मशरूम

प्रीति भण्डारी ने अपने घर में या फिर किराये में कमरे लेकर मशरुम का उत्पादन किया है इसके साथ ही कई युवाओं और महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार की तरफ प्रेरित कर रही है.

मशरूम

प्रीति ने बताया कि उन्होंने पांच साल पहले एक छोटे से कमरे में मात्र 20 बैगों से मशरूम उगाने का कार्य शुरू किया था. शुरूआत में न तो उन्होंने प्रशिक्षण ही लिया था और न कोई अनुभव ही उनके पास था. उगाने के बाद उसे मार्केट उपलब्ध कराना भी एक चुनौती थी. लेकिन पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद आज प्रीति तीन स्थानों पर मशरूम उगाती है.

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बटन और ढिंगरी दोनो ही मशरूमों को वह सफलतापूर्वक उगा रही है. मार्केट में उनके मशरूम की साख है साथ ही जिस सीजन में अधिक उत्पादित होता है वह उसका अचार भी बनाती है. अचार आदि की आपूर्ति व दिल्ली जैसे बढ़े शहरों में भी करने लगी हैं.

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इस अवधि में प्रीति ने कई प्रशिक्षण लिए आज वह एक कुशल प्रशिक्षक भी हैं. वह नए उत्पादकों के नीजि रूप से भी प्रशिक्षण देती हैं वहीं सरकारी और सामुहिक प्रशिक्षण भी उनके द्वारा दिए जा रहे हैं. उनकी इसी उद्यमशीलता को देखते हुए सरकार ने उन्हें इस बार का तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित किया है.

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प्रीति भंडारी का कहना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. हां यह बात भी याद रखनी होगी कि सफलता कभी शार्टकट नहीं होती एक सफलता के पीछे मेहनत का लंबा अध्याय होता है. उन्होंने कहा कि वह आसानी से केवल मशरूम कल्टीवेशन से ही 25—30 हजार रुपये हर माह कमा लेती हैं. प्रशिक्षण से होने वाली आय इसके अतिरिक्त है.

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