एसएसजे परिसर में छात्रों ने परिसर निदेशक का किया घेराव, निदेशक कार्यालय में की तालाबंदी, परिसर प्रशासन पर लगाया मनमानी का आरोप

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। कुमाउ विश्वविद्यालय से संबद्ध एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में छात्रों व परिसर प्रशासन के बीच आये दिन हो रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों ने आज परिसर​ निदेशक का घेराव किया। मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं होने से आक्रोशित छात्रों ने परिसर निदेशक कार्यालय में तालाबंदी कर जोरदार नारेबाजी की।
बैक परीक्षा नहीं कराने, अंकतालिकाओं में हो रही गड़​बड़ियों व परिसर प्रशासन की मनमानी को लेकर आक्रोशित छात्र दिन में परिसर निदेशक प्रो आरएस पथनी का घेराव करने पहुंचे। परिसर निदेशक कार्यालय में छात्रों ने जमकर हंगामा काटा। इस दौरान अन्य शिक्षक भी परिसर निदेशक कार्यालय पहुंचे। काफी देर तक छात्रों व प्राध्यापकों के बीच गहमागहमी का माहौल रहा। ​छात्रों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए परिसर प्रशासन की ओर से पुलिस बुलायी गयी। पुलिस के परिसर पहुंचने छात्रों का आक्रोश और भड़क उठा। छात्रों ने परिसर निदेशक कार्यालय के बाहर तालाबंदी कर नारेबाजी की।

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दरअसल छात्रों का आरोप है कि बीएससी प्रथम सेमेस्टर के कुछ छात्रों की कई बार मांग के बावजूद बैक परीक्षा नहीं करायी जा रही है। छात्र—छात्राओं ने बीएससी षष्ठम सेमेस्टर भी पास आउट कर लिया है लेकिन पहले सेमेस्टर की बैक परीक्षा नहीं होने से उन्हें स्नातकोत्तर की कक्षाओं में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।​ जिस कारण कई छात्र—छात्राएं वर्तमान में प्रवेश से वंचित हो गये हैं। छात्रों का कहना है कि इस संबंध में कई बार परिसर निदेशक व डीएसडब्ल्यू के माध्यम से विवि प्रशासन को ज्ञापन भेजने के अलावा धरना—प्रदर्शन व अन्य माध्यमों से अवगत कराया जा चुका है लेकिन परिसर प्रशासन व विवि प्रशासन छात्रों की समस्याओं की सुध नहीं ले रहा है। इधर अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो पीएस बिष्ट ने बताया कि ​कुछ छात्र बैक परीक्षा को लेकर परिसर प्रशासन पर जबरन दबाव डाल रहे है ​उन्होंने कहा कि यह वह छात्र है जो दूसरी बार में भी बैक परीक्षा पास नहीं कर पाये है। प्रो बिष्ट ने कहा कि परीक्षा समिति को मामले में सुझाव भेजेंगे। बता दे कि एसएसजे परिसर में आए दिन छात्रों व प्राध्यापकों के बीच गहमागहमी का माहौल रहता है छात्रों के आये दिन धरने—प्रदर्शन व आंदोलन से छात्र—छात्राओं की पढ़ाई में भी बांधा उत्पन्न होती है। ऐसे में परिसर प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर तमाम प्रकार के सवाल खड़े होने लगे है।

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