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उठे सवाल- दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों का नामांकन निरस्त करना अव्यवहारिक, कोर्ट जाने की चेतावनी

उत्तरा न्यूज डेस्क
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अल्मोड़ा-: सल्ट क्षेत्र के निवर्तमान जिलापंचायत सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता नारायण सिंह रावत ने बिना न्यायालय के आदेशों व फैसले के ही दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों का नामांकन रद किए जाने पर सरकार व आयोग पर निशाना साधा है|
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पंचायती राज एक्ट 2016 को संशोधित 2019 में 2 बच्चे व शिक्षा की बाध्यता के साथ संसोधित किया दिया था| जिसको उत्तराखंड हाईकोर्ट मैं जनता द्वारा चुनौती दी गई जिसमें हाईकोर्ट द्वारा ग्राम प्रधान व उप प्रधान तथा वार्ड सदस्यों के लिए बच्चो की बाध्यता को ख़त्म कर कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 कर दी थी जिसके खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव को स्थगित नही किया। और जनता द्वारा पुनः उत्तराखंड हाईकोर्ट में पंचायती राज एक्ट को क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के लिए भी चुनौती दे दी गई है जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा 4 सप्ताह का समय जबाब दाखिल कर ने को कहा है। लेकिन उत्तराखंड सरकार व चुनाव आयोग द्वारा उत्तराखंड की जनता का लोकतंत्र के अधिकारों का मजाक किया जा रहा है एक तरफ तो सभी लोगो के नामांकन पत्र जमा कर लिये गए है और बिना किसी आदेश के उन्हें अस्वीकार कर दिया गया है| कहा कि जब उत्तराखंड सरकार द्वारा पंचायती राज एक्ट हाईकोर्ट में विचाराधीन है तो बिना हाईकोर्ट के फैसले के बगैर जनता को चुनाव लड़ने से वंचित क्यों किया जा रहा है| कहा कि एक पंचायती राज एक्ट है और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कहे जा रहे है और उस एक्ट में दो प्रकार से चुनाव किये जा रहे है तो फिर किस बात का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कहा जा रहा है। उन्होने जिन लोगों के नामांकन पत्र की जांच कर सही पाए गए हैं उन लोगो को चुनाव से वंचित नही करने और उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार को निर्णय लेने की मांग करते हुए ऐसा नहीं होने पर सोमवार को न्यायालय में गुहार लगाने की बात कही है|

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