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पिथौरागढ़ (Pithoragarh) प्रो. रघुवीर चंद के निधन पर जताया शोक

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पिथौरागढ़ सहयोगी, 1 अप्रैल 2021
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के
डीएसबी परिसर में भूगोल के प्रोफेसर डाॅ. रघुवीर चंद के निधन पर Pithoragarh महाविद्यालय के प्राध्यापकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रबुद्धजनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

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भूगोलविदों के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन आईजीयू के सक्रिय सदस्य रहे डाॅ. रघुवीर चंद के निधन पर जिला मुख्यालय के पांडे गांव स्थित एक प्रतिष्ठान में आयोजित शोकसभा में वक्ताओं ने कहा कि वह पिछले चार दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे थे।

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उनके निधन से जहां विश्वविद्यालय ने एक विद्वान भूगोलविद खो दिया है, वहीं जनपद Pithoragarh को भी अपने सुयोग्य बेटे के खोने से गहरी सामाजिक व बौद्धिक क्षति हुई है।

शोकसभा में इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक नवीन रजवार ने कहा कि प्रो. रघुवीर चंद ने अपनी प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा पिथौरागढ़ से ही पूरी की और बाद में वह विवि के डीएसबी परिसर में अध्यापन करने लगे। वह कला संकाय के भी डीन रहे। अध्यापन के साथ-साथ उनकी अभिरुचि के केंद्र में आम जनजीवन, दूरस्थ व सीमान्त समाजों का अध्ययन रहा।

उन्होंने कहा कि लद्दाख में पाकिस्तान सीमा पर सिंधु से लगे दा, हनु ग्रामों से लेकर काराकोरम के नजदीक बसे गांवों, हिमाचल से लद्दाख जाते हुए सेरी चू के दूरस्थ गांव से लेकर उत्तराखंड की सीमान्त घाटियों तक और पूर्वी हिमालय तथा भूटान में तिब्बती सीमान्त की यात्राएं व अध्ययन उन्होंने किया।

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वक्ताओं ने बताया कि प्रो. चंद ने भूटान में भी अध्यापन किया। हाल के वर्षों में अमेरिका की राॅकीज पर्वत ऋंखला के मूल वाशिंदों-अक्सकापी पिकूर्न समाज के 2014-15 में अर्जित उनके अनुभव महत्वपूर्ण हैं। पूर्वी भूटान के ब्रोक्या समुदाय पर उनकी पुस्तक ‘हिडन हाईलैन्डर्स’ भी प्रकाशित हुई है। वह हिमालय संबंधी प्रकाश ‘पहाड़’ के संपादक मंडल के सदस्य भी रहे।

शोकसभा में भूगोल विभाग के प्रो. पंकज भट्ट, प्रो. रेखा पांडे, प्रो. पुष्पा पंत जोशी, डाॅ. जितेंद्र ह्यांकी, डाॅ. कमलेश भाकुनी, सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद कफलिया, छात्र नेता चंचल बोरा, हेमंत खाती, हिमालयी सरोकारों से जुड़े डाॅ. अनिल कार्की, राकेश भट्ट आदि उपस्थित थे।

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