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Pithoragarh- जड़ी-बूटी उत्पादन बढ़ाने को नर्सरी विकास की जरूरत

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़ सहयोगी, Pithoragarhधारचूला ब्लाॅक के मल्ला छारछुंग में ‘पारंपरिक ज्ञान संरक्षण एवं विचार-विमर्श’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में दारमा और व्यास वैली क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक वैद्य और जड़ी-बूटी विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किये। साथ ही उनके पारंपरिक ज्ञान के समक्ष आ रही चुनौतियों और उसके समाधान को लेकर विचार-विमर्श किया।

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वक्ताओं ने कहा कि जड़ी-बूटियां और उसका पारंपरिक ज्ञान विभिन्न महामारियों से लड़ने में सहायक रहा है और यह कोरोना बीमारी से बचाने में भी काफी कारगर हो सकता है जोकि इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं।

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वन विभाग की सिक्योर हिमालया परियोजना के तहत क्रीड़ा एवम युवा समिति ने इस गोष्ठी का आयोजन कर पारंपरिक ज्ञान को बचाने की पहल की है।

गोष्ठी में पारंपरिक ज्ञान के जानकारों ने कहा कि दारमा-व्यास और चौंदास घाटियों में जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नर्सरी विकसित की जाएं। क्योंकि पहले की तरह लोग अब सिर्फ ग्लेशियर और वन क्षेत्रों में ही जड़ी-बूटी दोहन के लिए निर्भर नहीं हैं, बल्कि बहुत से लोग अपने खेतों में भी इन्हें पैदा कर रहे हैं।

लेकिन जंगली जानवर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। विशेषज्ञों ने जड़ी-बूटी उत्पादन के लिए नर्सरी बनाकर उनकी घेरबाड़ किये जाने, उत्पादित माल के भंडारण के लिए संग्रहण केंद्र बनाने के साथ ही जड़ी-बूटियों की बिक्री की व्यवस्था आसान बनाए जाने की जरूरत बताई। ताकि प्राकृतिक औषधियां और उसका ज्ञान संरक्षित और विकसित हो सके।

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वक्ताओं ने इन उपायों को किये जाने की जरूरत इसलिए भी बताई कि नई पीढ़ी जड़ी-बूटी का उत्पादन कर उसे रोजगार का जरिया भी बनाना चाहता है, लेकिन समुचित ध्यान न दिये जाने और संसाधनों के अभाव में यह एक चुनौती बना हुआ है।

गोष्ठी में किशन सिंह बोनाल, कुलदीप सिंह गुन्ज्याल, ज्ञान सिंह दुग्ताल, देवराम, अरविंद बोनाल, नेत्र सिंह सहित क्षेत्र के 17 से अधिक पारंपरिक वैद्य ने अपना ज्ञान साझा किया।

इस मौके पर यूएनडीपी के डाॅ. भाष्कर जोशी, क्रियुस संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर मुरारी, किशोर पंत, विशाल पंत तथा अनेक क्षेत्रवासी मौजूद थे।

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