स्कूल प्रबंधन की लापरवाही या अभिभावकों की मजबूरी? ओवरलोड वैन में जाते दिखे नौनिहाल

Advertisements Advertisements पिथौरागढ़ जिले के थल इलाके से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां एक सात सीटर गाड़ी में स्कूली बच्चों…

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पिथौरागढ़ जिले के थल इलाके से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां एक सात सीटर गाड़ी में स्कूली बच्चों को ठूंस ठूंस कर बैठाया गया था। यह गाड़ी सिर्फ सात लोगों के लिए मंजूर थी लेकिन इसमें सत्रह बच्चे भर दिए गए। मामला तब सामने आया जब थल पुलिस ने इलाके में चेकिंग अभियान चलाया।

थल थाना प्रभारी शंकर सिंह रावत की अगुवाई में चेकिंग चल रही थी उसी दौरान जब गाड़ी नंबर यूके जीरो पांच टीए चार सात शून्य एक को रोका गया तो उसमें ठूंसे हुए बच्चों को देखकर पुलिस भी चौंक गई। गाड़ी चला रहा था दीपक सिंह धामी जो कि जाजर सिर टोली गांव का रहने वाला है और बेरीनाग थाना क्षेत्र में आता है।

यह गाड़ी एक निजी स्कूल के बच्चों को लेकर जा रही थी। इतने बच्चों को एक छोटी गाड़ी में भरना सीधे तौर पर उनकी जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। पुलिस ने समय रहते गाड़ी को रोक लिया नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था।

थाना प्रभारी ने तुरंत सभी बच्चों को सुरक्षित उनके घर भिजवाया और गाड़ी चालक के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। गाड़ी का परमिट रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है और वाहन को सीज कर दिया गया है।

सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि जिस स्कूल के लिए ये गाड़ी बच्चों को ला रही थी क्या वहां के प्रबंधकों को नियम कानून की कोई जानकारी नहीं। और जिन मां बाप ने अपने बच्चों को इस गाड़ी में बैठने दिया उन्होंने भी आखिर क्यों चुप्पी साध ली।

पिथौरागढ़ के पहाड़ी इलाकों की हालत किसी से छुपी नहीं है। सड़कों की हालत खराब है और ओवरलोड गाड़ियां हादसों की वजह बनती रही हैं। ऐसे में इस तरह बच्चों को खतरे में डालना बेहद गैरजिम्मेदाराना हरकत है।