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कभी फुर्सत मिले तो साहब— इन म्यूरल्स की सुध भी ले लें,अल्मोड़ा में अनदेखी के चलते रंगत खो रहे हैं प्रशासन द्वारा लगाए गए म्यूरल्स

Newsdesk Uttranews
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उत्तरान्यूज अल्मोड़ा— यूं तो अल्मोड़ा को सांस्कृतिक नगरी कहा जाता है,पर्यटक नगरी के रूप में विकसित करने की कवायद हमेशा मंचीय एजेंडा रहता ही है. पयर्टकों को बुलाने और उन्हें यहां की संस्कृति से अवगत कराने के लिए कई योजनाए जनता के सामने आती रहती हैं, ऐसा ही एक कवायद अनदेखी के चलते प्रयासों पर सवाल उठाने लगी है.

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अल्मोड़ा में 2016—17 में अल्मोड़ा को भित्ति चित्रों(Murals) से सजाने की कवायद की गई, उससे पहले भी एक दो स्थानों पर माडल के रूप में भित्ति चित्रों को लगाया गया. बाद में इन्हें अल्मोड़ा कलक्ट्रेट(Almora Collectorate) में भित्ति चित्र लगाए जिसमें पहाड़(hill area)के विभिन्न रीति रिवाजों को उकेरा गया.

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इन भित्ति चित्रों को सर्किट हाउस(Circuit house),पर्यटन विभाग और कलक्ट्रेट मार्ग में लगाया गया. दावा किया गया कि इन भित्ति चित्रों से पर्यटक अल्मोड़ा के रीति रिवाजों से परिचित होंगे और उनका जुड़ाव पहाड़ की संस्कृति से बढ़ेगा. लेकिन समय बीतने के साथ ही अनदेखी की छाया इन भित्ति चित्रों के ऊपर पड़ गयी और किसी भी पैरोकार का ध्यान इस ओर नहीं गया कि देखरेख के अभाव में यह भित्ति चित्र अपनी रौनक खो रहे हैं.

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पर्यटन विभाग भी अपने कई लुभावने कार्यों में व्यस्त रहा, कई पर्यटकों को आकर्षित करने वाले कार्यक्रम अल्मोड़ा में कराए गए. लाखों रुपये भी इन कार्यक्रमों में खर्च कर दिए गए लेकिन किसी की भी नजर रौनक और रंग दोनों खो रहे इन भित्ति चित्रों की ओर नहीं गई.

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अब इनकी मेंटीनेंश होगी या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में हैं लेकिन बेनूर हो चुके यह म्यूरल यह कहानी जरूर बयां कर रहे हैं कि उपेक्षा और अनदेखी क्या होती है. किस तरह एक प्लानिंग को अनदेखी का शिकार कर उसे गर्त में धकेलने की कोशिश की जाती है. अल्मोड़ा में इन म्यूरल्स की हालत देख लोग भी अब चर्चा करने लगे हैं कि पर्यटन के विकास की बात करने वाले क्यों इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

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