shishu-mandir

Uttarakhand- 27 दिसंबर 2022 को आयोजित होगा मां भगवती कालिंका का मेला (जतोड़ा)

editor1
4 Min Read
Screenshot-5

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के मध्य सीमावर्ती (दुसान) क्षेत्र में विराजमान मां भगवती काली को समर्पित सिद्धपीठ कालिंका धाम (थौल) में त्रैवार्षिक मेला का आयोजन 27 दिसंबर 2022 को किया जाएगा। बताते चलें कि पौराणिक काल से ही गढ़वाल और कुमाऊं के आम जनमानस का श्रद्धा, भक्ति, और आस्था का केंद्र रहा है। सभी भक्तजनों की मनोकामना पूर्ण करने वाला यह देवस्थान बडियारी वंशज की कुलदेवी (कालिंका) के रूप में जाना जाता है।

new-modern
holy-ange-school

उत्तराखंड के दो बड़े जिलों पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा के अधिकांश क्षेत्र इस इलाके में आते हैं। आस्था और कुदरत की छटा बिखेरता हुआ यह देवस्थान स्वर्ग से भी अति सुंदर एवं रमणीक है। मां भगवती की असीम कृपा से 17 वीं शताब्दी के मध्य बडियारी कुल के प्रथम व्यक्ति स्वः ललित बडियारी (लैय्ली बूबा) द्वारा इस दुशान क्षेत्र में मां भगवती कालिंका के मंदिर की स्थापना की गई थी और आज 21वीं शताब्दी में भी उनके वंशज उनकी इस धरोहर और मां भगवती की पूजा पद्धति को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं। पौराणिक काल से चली आ रही परंपराओं के मुताबिक बडियारी वंश के लोग हर तीन साल में मां भगवती कालिंका की जात्रा एवं पूजा का आयोजन करते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस बार भी मंगलवार 27 दिसंबर 2022 को मां भगवती के भव्य पूजन एवं मेले का आयोजन किया जा रहा है।

gyan-vigyan

मंदिर समिति एवं मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों और ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी अजित रावत ने बताया कि हजारों भक्तों की अभिलाषा एवं आग्रह को मध्य नजर रखते हुए इस बार 8 दिसंबर 2022 को मां भगवती के दिव्य स्वरूप न्याजा (निशाण) का कुल पुरोहितों (ममगाईंयों) द्वारा विधिवत रूप से अनावरण किया जाएगा। इसके उपरांत मां भगवती का न्याजा निशाण पूरे क्षेत्र में भ्रमण करते हुए अपने भक्तजनों को आशीर्वाद स्वरुप में दर्शन देगा पौराणिक काल से ही न्याजा (निशान) को भगवती के दिव्य स्वरूप का प्रतीक माना जाता है जोकि साक्षात देवी के स्वरूप में गांव-गांव जाकर अपनी दीशा ध्याणियों और भक्तजनों को सुख समृद्धि एवं खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हुए भ्रमण करती हैं। 19 दिनों की जात्रा के उपरांत 26 दिसंबर को मां भगवती अपने भीतरी स्थान कोठा में प्रवेश करेंगी। इस स्थान पर पूरी रात पूजा पाठ, देव नृत्य एवं देव अवतरण का कार्यक्रम चलेगा। अगले दिन सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ ही मां भगवती अपने मुख्य स्थान मंदिर (थौल) को प्रस्थान करेंगी। मुख्य मंदिर में पहले से ही बड़ी संख्या में पहुंचे हुए श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए लंबी-लंबी कतारें लगाए खड़े रहते हैं।

मंदिर समिति एवं ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि जन भावनाओं, और जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हमने अपने संपूर्ण प्रयासों के उपरांत पूरी व्यवस्था करने की कोशिश की है। परंतु दूरदराज का क्षेत्र होने के कारण आम जनमानस एवं भक्तजनों को भी इस भव्य एवं विशाल धार्मिक आयोजन में सहयोग करना होगा। इसलिए सभी भक्तजनों से निवेदन है कि अपनी जरूरत के हिसाब से अपने पास गर्म कपड़े, दवाइयां, रेनकोट, बरसाती इत्यादि जरूरत के सामान जरूर रखें।