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लॉकडाउन (Lockdown) इफेक्ट — मलेशिया में फंसे उत्तराखण्ड के युवा साइकिलिस्ट प्रदीप राणा सहित सैकड़ों भारतीय

Newsdesk Uttranews
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रोहित जोशी


बागेश्वर। कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए भारत सरकार द्वारा एहतियातन अपनाए गए लॉकडाउन (Lockdown) के क़दम के बाद जहां एक ओर पूरे देश में चीज़ें ठहर गई हैं वहीं इसका असर उन भारतीयों पर भी पड़ रहा है जो कि कई वजहों से लॉकडाउन से पहले विदेश यात्रा पर थे. बागेश्वर के मशहूर युवा साइकिलिस्ट प्रदीप राणा ​भी ​इन्हीं लोगों में शुमार हैं. विश्व शांति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर एशियाई देशों की यात्रा पर निकले प्रदीप राणा मलेशिया के कुआलांलपुर (kualalampur) शहर में फंस गए हैं.

10,000 से अधिक किलोमीटर साइकिल की सवारी करते हुए नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड, लाओस, विएतनाम, इंडो​नेशिया, हनोई के बाद मलेशिया पहुंचे प्रदीप को यूं तो सिंगापुर निकलना था लेकिन कोरोना वायरस के चलते फ़ैली अफ़रा-तफ़री के बाद उन्होंने अपनी यात्रा को यहीं समाप्त करने की ठानी और 20 मार्च को भारत वापसी का टिकट ले लिया.

Lockdown effect - young cyclist Pradeep Rana of Uttarakhand stranded in Malaysia

लेकिन जब वह कुआलांलपुर (kualalampur) के एयरपोर्ट में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि मलेशिया से भारत की ओर जाने वाली सभी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं और भारत सरकार ने 31 मार्च तक किसी भी फ्लाइट के संचालन पर रोक लगा दी है. कुआलांलपुर (kualalampur) में भारतीय दूतावास से संपर्क करने पर उन्हें बताया गया कि उन्हें 31 मार्च तक कुआलांलपुर (kualalampur) में ही रुकना होगा. प्रदीप राणा के साथ ही कम से कम 400 और भारतीय इस तरह कुआलांलपुर (kualalampur) में फंस गए.

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व्हॉट्एप कॉल पर हुई बातचीत में प्रदीप ने बताया, ”हमें सुझाव दिया गया कि हम एयरपोर्ट छोड़कर कुआलांलपुर (kualalampur) शहर में चले जाएं. कुछ एनजीओज़ हमारी मदद के लिए आए और उन्होंने हमें राहत की सामग्री दी. इसके बाद हम कुआलांलपुर शहर के एक गुरूद्वारे में आ गए और अब यहीं ठहरे हुए हैं.”

Lockdown effect - young cyclist Pradeep Rana of Uttarakhand stranded in Malaysia

अब 31 मार्च भी गुजर चुका है और भारत में लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल तक निर्धारित की गई है ऐसे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि मलेशिया या दूसरे देशों से विमानों को भारत वापस लौटने की इजाज़त कब दी जाएगी.

हालांकि प्रदीप कहते हैं, ”मेरे साथ जो लोग यहां फंसे हुए हैं उनमें अधिकतर पंजाब और दक्षिण भारत के राज्यों से हैं. हमें उम्मीद है कि भारत सरकार जल्द ही यहां से हमारे वापस लौट सकने का प्रबंध करेगी।”

पिछले साल सितंबर में प्रदीप ने देहरादून से अपनी इस यात्रा की शुरूआत की थी. कई देशों को साइ​किल पैडल से पार करते हुए उनकी योजना अब सिंगापोर पहुंचने की थी लेकिन यह संभव नहीं हो सका. अब प्रदीप और उनके परिवार को उम्मीद है कि जल्द ही भारत में इंटरनेशनल फ्लाइट्स को इजाज़त मिले और वह सुरक्षित घर वापस लौट पाएं।