लॉक डाउन (LockDown) बना सहायक ,प्रकृति ने बिखेरे अनेक रंग

Newsdesk Uttranews
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ललित मोहन गहतोड़ी


यह किसी चमत्कार से कम नहीं जिसे लगभग सभी लोग जरूर नमस्कार करना चाहेंगे। लॉकडाउन (LockDown) के बाद से ही इसके अप्रत्याक्षित असर के रूप में देश की विभिन्न नदियों का जल शुद्ध एवं साफ होता जा रहा है। विभिन्न नालों से नदियों में समा रही गाद लगभग खत्म हो रही है। जंगल हरे भरे हो रहे हैं साथ ही दुर्लभ से दुर्लभ प्रजाति के जंगली जानवर भी मनुष्य के हस्तक्षेप से इतर मुक्त हवा में सांस लेते खुली आंख दिखाई दे रहे हैं।

नदियों में गिरते नालों का दवाब कम होने से नदियां हो रही साफ और स्वच्छ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 24 मार्च की रात 8 बजे देश के नाम संबोधन में तीन सप्ताह के लिए संपूर्ण भारत वर्ष में लॉकडाउन (LockDown)की घोषणा की गयी थी । जनहित में लिए गये इस निर्णय का देशवासियों ने स्वागत करते हुए स्वयं को अपने अपने घरों में कैद कर लिया गया था। इसके एक सप्ताह बीतते ही नदियों के स्वच्छ जल, प्रदूषण की वजह से आसमान से साफ हुई धुंध की खबरें सकारात्मक रूप से सामने आने लगीं थी।जो काम अरबों, खरबों रूपये खर्च कर नही हुआ वह काम मात्र 21 दिनों के लॉक डाउन के दौरान खुद ही हो गया। सबसे प्रदूषित माने जाने वाली गंगा और यमुना नदिया तक साफ दिखाई दे रही है। जालंधर से 213​ किमी दूरी पर स्थित धौलधार की पहाड़ियां तक साफ दिखाई दे रही है।

आम जन जीवन में भी देखने को मिल रहा प्रत्यक्ष रूप से चमत्कार

इसके अलावा लॉकडाउन (LockDown) के दौरान प्रकृति में भी अनेक चमत्कार प्रत्यक्ष रूप से सामने देखने को मिल रहे हैं। अमूमन कोलाहल और भीड़ से दूरी बनाए रखने वाले जंगली जीव-जन्तु ने भी इस चमत्कार को नमस्कार कहते हुए शहर, नगर और गांव गांव का रूख करना शुरू कर दिया है। इस दौरान अनेक दुर्लभ प्रजाति के जंगली जानवर तक पहली बार प्रकृति में मुक्त हवा में सांस लेते नजर आ रहे हैं।

जालंधर शहर से धौलधार की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य

ऊपर दो फोटो में से एक में जालंधर से घौलधार की दूरी दिखाई गई है। यह फोटो गूगल मैप से ली गई है। वही दूसरी फोटो में आप देख सकते हैं कि जालंधर शहर से धौलधार की पहाड़ियां साफ दिखाई दे रही है। यह साफ तौर पर लॉकडाउन (LockDown) का पॉ​जीटिव इफैक्ट है। दूसरी फोटो इस टविटर लिंक से ली गई है।

https://twitter.com/ParveenKaswan/status/1246025488264343554/photo/1

पवित्र गंगा नदी की बात हो या यमुना और ब्रह्मपुत्र अथवा नैनीताल की नैनी और भीमताल की भीमकाय झील या फिर सहायक नदियों के रूप में पौराणिक महत्त्व की सरयू, रामगंगा, काली, गोरी, लोहावती या फिर गंडक नदी इस दौरान यह सभी प्रमुख नदियां रिचार्ज होकर अपनी लय में कल कल छल छल बहती नजर आ रही हैं। यहां तक कि कभी गाद से पटी रहने वाली थकी हांफती प्रदूषित लोहाघाट की लोहावती और जिला मुख्यालय चम्पावत की गंडक नदी भी अब अपने शबाब में छल छल कल कल बहने लगी है। जो अब तक लगभग गाद और दुर्गंध से पटी रहती थी अब खुलकर सांस लेती नजर आ रही है।अल्मोड़ा में कोसी नदी एकदम साफ नजर आ रही है।

kosi barage in almora
अल्मोड़ा की कोसी नदी और उस पर बना बैराज

लॉकडाउन (LockDown) का प्रतिकूल असर प्रकृति पर भी पड़ रहा है। इस बीच मनुष्य का नदियों और पेड़ पौधों से सीधा हस्तक्षेप रूका हुआ है। पोखर तालाबों से लेकर नदियों तक और प्रकृति से लेकर जीव जंतुओं तक मनुष्य की पहुंच नहीं बन रही है इससे इन सभी को मुक्त आजादी मिली हुई है। चलें राम राज की ओर यहां वन‌ वन नाचे मोर की कल्पना साकार होती प्रतीत हो रही है।

यह यूरोप नही अपने उत्तराखण्ड का हरिद्वार है

सचमुच नदियों की सफाई को लेकर जो काम आज तक की सरकारें लाखों वारे न्यारे कर नहीं कर पाई हैं वह महज 14अप्रैल तक के वन फेज लॉक डाउन की वजह से होता दिखाई देने लगा गया था। अभी जबकि देश में दोबारा से लॉक डाउन की अवधि 3 मई तक के लिए बढ़ा दी गयी है तो आने वाले समय में इसका और प्रतिकूल प्रभाव मानव सभ्यता के साथ ही पृथ्वी के जल स्रोतों, नदियों, जंगलों और जंगली जानवरों पर पड़ना तय माना जा रहा है।

अल्मोड़ा की कोसी नदी

इधर आम जन जीवन पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। लॉक डाउन से पहले तक अस्पतालों के बाहर लगी रहने वाली लंबी लंबी कतारें अब अंगुलियों की गिनती भर में रह गयी हैं। सामाजिक दूरी बनाये रखने, लगातार मास्क पहनने और हाथों की बार बार सफाई करने के साथ ही फ्लू और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा भी कम होता जा रहा है। यही स्थिति कायम रही तो जल जनित रोग भी अब कम ही समझो। अब देखना यह है कि लॉक डाउन के समय प्रकृति द्वारा दिये इस सबक को हम और हमारी सरकारें कितना समझ पाती है।

लॉक डाउन के दौरान साफ और स्वच्छ यमुना नदी