देश की छठी सबसे अमीर महिला लीना तिवारी ने खरीद लिए 700 करोड़ के डुप्लेक्स, जानिए उनका सफर

Advertisements Advertisements मुंबई में एक ऐसी प्रॉपर्टी डील हुई है जिसने रियल एस्टेट जगत में हलचल मचा दी है। यूएसवी फार्मास्यूटिकल्स की चेयरपर्सन लीना तिवारी…

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मुंबई में एक ऐसी प्रॉपर्टी डील हुई है जिसने रियल एस्टेट जगत में हलचल मचा दी है। यूएसवी फार्मास्यूटिकल्स की चेयरपर्सन लीना तिवारी ने समंदर के सामने वर्ली इलाके में दो डुप्लेक्स अपार्टमेंट खरीदे हैं। इन दोनों फ्लैट्स की कुल कीमत छह सौ उनतालीस करोड़ रुपये बताई जा रही है। लीना तिवारी ने इन प्रॉपर्टीज के लिए तिरेसठ करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी और जीएसटी का भी भुगतान किया है। इस हिसाब से पूरी डील सात सौ तीन करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यह सौदा इसलिए भी खास है क्योंकि देश में अब तक इतने महंगे फ्लैट किसी ने नहीं खरीदे। रिपोर्ट्स की मानें तो फ्लैट के कारपेट एरिया के हिसाब से दो लाख तिरासी हजार रुपये प्रति वर्ग फीट का रेट बनता है। ये देश की अब तक की सबसे महंगी रेजिडेंशियल डील मानी जा रही है। खास बात ये है कि जितनी कीमत में ये दो फ्लैट आए हैं उतने में किसी शहर की एक पूरी सोसाइटी खड़ी की जा सकती है। लेकिन लीना तिवारी ने बिना किसी शोरशराबे के ये खरीदारी पूरी कर ली और एक बार फिर साबित कर दिया कि वह बिजनेस वर्ल्ड की बड़ी ताकत हैं।

लीना तिवारी का नाम देश की सबसे अमीर महिलाओं में गिना जाता है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक वह छठे नंबर की सबसे अमीर भारतीय महिला हैं। उनकी कुल संपत्ति तैंतीस हजार करोड़ रुपये के करीब बताई गई है। हैरानी की बात ये है कि इतनी संपत्ति होने के बावजूद वह हमेशा मीडिया और चकाचौंध से दूर रहती हैं। लेकिन इस बार उनका यह निजी फैसला उन्हें फिर से सुर्खियों में ले आया है। लीना तिवारी न सिर्फ एक सफल कारोबारी हैं बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनका योगदान हमेशा सराहनीय रहा है। साल दो हजार इक्कीस में उन्होंने हेल्थ सेक्टर के लिए चौबीस करोड़ रुपये का दान दिया था। उनकी कंपनी यूएसवी फार्मास्यूटिकल्स की स्थापना उनके पिता विट्ठल गांधी ने की थी। इस कंपनी की शुरुआत उन्नीस सौ इकसठ में रेवलॉन के साथ मिलकर की गई थी। आज यह कंपनी भारत की फार्मा इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन चुकी है। वित्त वर्ष चौबीस में यूएसवी ने चार हजार आठ सौ चालीस करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया। कंपनी की प्रमुख दवाएं जैसे ग्लाइकोमेट, इकोस्प्रिन और रोज़डे देशभर में मरीजों के बीच काफी लोकप्रिय हैं और बाजार में इनकी मजबूत पकड़ बनी हुई है।