कर्नाटक में बिकने वाला अधिकांश बोतलबंद पानी मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए नमूना परीक्षण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि राज्य में अलग-अलग ब्रांड के तहत बेचा जा रहा करीब 70 फीसदी बोतलबंद पानी पीने योग्य नहीं है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडुराव ने बताया कि फरवरी महीने में राज्य भर से लिए गए कुल 255 नमूनों में से 167 नमूने या तो घटिया गुणवत्ता के पाए गए या फिर पूरी तरह असुरक्षित थे। इनमें से 72 नमूने ऐसे थे जो सीधे तौर पर मानव उपभोग के लिए खतरनाक माने गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि अधिकतर अनहाइजेनिक नमूने स्थानीय स्तर पर बिकने वाले ब्रांड्स से संबंधित थे। इन नमूनों में कीटनाशक, रसायन और खतरनाक बैक्टीरिया की उपस्थिति पाई गई है, जो सीधे तौर पर सेहत के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और इससे यह साबित होता है कि बाजार में बिकने वाला बोतलबंद पानी उतना सुरक्षित नहीं है, जितना लोग समझते हैं। उन्होंने आम लोगों से अपील की है कि वे अज्ञात या सस्ते ब्रांड के बोतलबंद पानी को खरीदने से पहले सतर्क रहें।
इस मामले में कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने उन प्लांट्स के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनके उत्पाद जांच में फेल हुए हैं। मंत्री गुंडुराव ने बताया कि विभाग ने इन ब्रांड्स की निर्माण इकाइयों से विधिसम्मत तरीके से नमूने लेकर दोबारा जांच के लिए भेजे हैं। दोबारा जांच के नतीजों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बोतलबंद पानी के अलावा बाजार में बिकने वाली तली हुई हरी मटर को लेकर भी चिंताजनक जानकारी सामने आई है। मंत्री गुंडुराव ने बताया कि जांच के लिए लिए गए 115 नमूनों में से 69 नमूने खाने योग्य नहीं पाए गए। इनमें ‘सनसेट येलो’ और ‘टेट्राजीन’ जैसे खतरनाक रसायनों का उपयोग किया गया था, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
राज्य सरकार अब इस दिशा में व्यापक कदम उठाने जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विभाग जल्द ही सभी मसाला, स्नैक्स और कन्फेक्शनरी उत्पादों के निर्माताओं को केमिकल रंगों के प्रयोग से बचने की एडवाइजरी जारी करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई निर्माता इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, लोगों को भी इस विषय में जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।