अग्निवीर मुरली नाइक ने अपनी जिंदगी के सबसे सुनहरे सालों में देश के लिए अपनी जान दे दी। यह हादसा 9 मई को हुआ जब मुरली नाइक भारत-पाक सीमा पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी का शिकार हो गए। उनकी शहादत ने न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर आंध्र प्रदेश के गोरंटला मंडल के कल्लिथंडा गांव पहुंचा, पूरा गांव गम में डूब गया। हर किसी की आँखों में आंसू थे और दिलों में अपार दुख था। नेताओं और अधिकारियों ने मुरली नाइक के बलिदान को श्रद्धांजलि दी और उनकी बहादुरी को सलाम किया।
मुरली नाइक का जन्म 8 अप्रैल 2002 को हुआ था और बचपन से ही उनका सपना था कि वे अपने देश की सेवा करें। 2022 में, जब वे सिर्फ 20 साल के थे, तो उन्होंने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती होने का फैसला किया। नासिक में 6 महीने के कठिन ट्रेनिंग के बाद उन्होंने असम में एक साल सेवा की और बाद में पंजाब में तैनात थे।
ऑपरेशन सिंदूर से दो दिन पहले उन्होंने अपने माता-पिता से फोन पर बात की थी और उन्हें बताया था कि वह युद्ध में शामिल हो रहे हैं। मुरली की यह देशभक्ति और समर्पण ही थी जो उन्हें खास ऑपरेशन फोकस कैडर में स्थान दिलवाया।
मुरली नाइक अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उन्होंने 2016-17 में अपनी 10वीं कक्षा समनदेपल्ली से पास की थी और तब से ही उनका सपना था कि वह अपने देश के लिए कुछ करें। उनका सपना था कि 2026 में वे अपनी 4 साल की सेवा पूरी करके घर लौटेंगे लेकिन देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। मुरली नाइक की अंतिम इच्छा यह थी कि अगर उनकी मृत्यु हो तो उनका शरीर तिरंगे में लपेटा जाए। उनकी आखिरी फोन कॉल ने उनके साहस और देशभक्ति को दर्शाया।
मुरली नाइक की शहादत ने पूरे देश को गौरवान्वित किया। राज्य और केंद्र सरकार ने उनके परिवार से मिलकर उनका दुख साझा किया और मुरली के सर्वोच्च बलिदान के लिए आभार व्यक्त किया। आंध्र प्रदेश के शिक्षा और आईटी मंत्री नारा लोकेश ने शहीद जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके माता-पिता से मिलकर सांत्वना दी। मंत्री ने कहा कि राज्य मुरली नाइक की बहादुरी के सम्मान में नतमस्तक है और उनकी सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।