अल्मोड़ा— घर भेजने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर (Labour) पहुंचे कलक्ट्रेट, सोशल डिस्टेंसिंग भी भूले

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा, 04 मई 2020
लॉक डाउन (Lock Down) के चलते घरों से दूर फंसे मजदूरों (Labour)
में असंतोष बढ़ते जा रहा है. घर भेजे जाने की मांग को लेकर सैकड़ों दिहाड़ी मजदूर (Labour) आज कलक्ट्रेट परिसर में आ धमके. इस दौरान मजदूरों ने जमकर हंगामा काटा और प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी व्यक्त की.

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गौरतलब है कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर लॉक डाउन (Lock Down) बढ़ा दिया है. हालांकि सरकार की ओर से ग्रीन व आरेंज जोन के जिलों में पहले से कई अधिक मोहलत लोगों को दी गई है.

सोमवार की दोपहर नगर व आस पास के क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों दिहाड़ी मजदूर (Labour) कलक्ट्रेट में आ धमके. जहां मजदूरों ने काफी देर तक हंगामा काटा. उनकी मांग थी कि उन्हें शीघ्र घरों को भेजा जाए. मजूदरों ने कहा कि लॉक डाउन के चलते उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आक्रोशित मजदूरों ने सोशल ​डिस्टेंसिंग की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई.

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कलक्ट्रेट में डयूटी दे रहे पुलिस कर्मियों ने मजदूरों को समझाने का प्रयास किया लेकिन मजदूर (Labour) घर भेजने की मांग को लेकर अड़े रहे. जिसके बाद मजदूरों को काबू करने के लिए कई अन्य पुलिसकर्मी कलक्ट्रेट पहुंचे.

मामले की भनक लगते ही तहसीलदार मनीषा मारकाना मौके से वहां पहुंची. उन्होंने किसी तरह मजदूरों को समझाया जिसके बाद मजदूर (Labour) वहां से अपने—अपने कमरे को लौटे.

तहसीलदार मनीषा मारकाना ने बताया राज्य से बाहर के रहने वाले मजदूरों (Labour) का डाटाबेस ए​कत्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उत्तरप्रदेश के कुछ मजदूरों (Labour) को उनके घरों को भेजा गया था. जिसके चलते बिहार के रहने वाले कई मजदूर भी आज कलक्ट्रेट पहुंच गए. तहसीलदार ने बताया कि सभी ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है जैसे ही घर भेजने की व्यवस्था होगी तो मजदूरों (Labour) को इसकी सूचना दे दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि अब तक उत्तरप्रदेश के 500 से अधिक मजदूरों (Labour) को घर भेज दिया गया है. जो भी मजदूर घर जाना चाहता है उसका डाटा एकत्रित किया जा रहा है जिसके बाद उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की जाएगी.

ज्ञात हो कि लॉक डाउन (Lock Down) में लाखों लोग जिसमें छात्र, मजदूर (Labour), पर्यटक व अन्य नौकरीपेशा लोग सम्मलित है, अपने गृह राज्यों से बाहर देश के अलग—अलग प्रांतों में फंसे हुए है. ऐसे में सबसे अधिक समस्याओं का सामना दिहाड़ी मजदूर (Labour) को करना पड़ रहा है.

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