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हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने की मांग मुखर

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़ में कृषि भूमि की असीमित खरीद की छूट देने वाले कानून को रद्द करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

पिथौरागढ़। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि की असीमित खरीद की छूट देने वाले कानून के खिलाफ आवाजे बुलंद होने लगी है। यहा जनमंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर यह मांग की। ज्ञापन में इस कानून को तत्काल वापस लेकर हिमाचल की तरह भू-कानून बनाने की मांग शामिल है।
जनमंच पिथौरागढ़ के संयोजक भगवान सिंह रावत के नेतृत्व में जिलाधिकारी को सौंपे गए इस ज्ञापन में बीते 8 सितंबर को विधानसभा में इस संबंध में पारित कानून का विरोध किया गया है। जनमंच का कहना है कि इस कानून के जरिये राज्य सरकार ने कथित औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के नाम पर पूंजीपतियों, माफियाओं को असीमित कृषि भूमि खरीदने की खुली छूट देकर उन्हें भूमि को अकृषि करने के झंझट से मुक्त कर दिया है। जनमंच का कहना है कि सरकार का यह कदम सदियों से यहां रह रहे मूल निवासी समाज को जड़ से उखाड़कर तितर-बितर करने का एक षड़यंत्र है और उत्तराखंड राज्य की अवधारणा के खिलाफ है। जनमंच का आरोप है कि राज्य बनने के बाद सत्ता में बैठने वाले लोगों ने सोची समझी साजिश के तहत भूमि सुधार, भूमि बंदोबस्त और चकबंदी जैसे आवश्यक कदम नहीं उठाये, बल्कि यहां के भूमिहीनों, आपदा पीड़ितों और विस्थापितों का हक मारकर जमीन की लूट को बढ़ावा दिया गया है जो चिंता का विषय है।

जनमंच ने कृषि भूमि खरीद के लिए बनाए गए इस काननू को तत्काल निरस्त कर उत्तराखंड में हिमाचल की तरह भू-कानून बनाने, पर्वतीय क्षेत्रों में तत्काल भूमि बंदोबस्त लागू कर चंकबंदी करने, कृषि भूमि पर वास्तविक रूप से काम करने वाले किसानों के हितों का संरक्षण करने और राज्य बनने के बाद राज्य में जल, जंगल, जमीन पर गैरकानूनी रूप से हुए कब्जों, बंदरबांट पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग मुख्यमंत्री से की है। ऐसा न होने पर जनता के साथ इस कानून को रद्द कराकर व्यापक जन अभियान शुरू करने की चेतावनी दी है। जनमंच संयोजक के साथ ज्ञापन देने वालों में एलएमएस पीजी काॅलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी, जनमंच कोषाध्यक्ष मदन मोहन जोशी, आरंभ संस्था के धीरज जोशी व अतुल उपाध्याय आदि शामिल रहे।