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बड़ी खबर—अल्मोड़ा के नैनीसार में एक औद्योगिक घराने के स्कूल निर्माण पर उच्च न्यायालय ने लगायी रोक

Newsdesk Uttranews
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रवीन्द्र देवलियाल
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में बुधवार को अल्मोड़ा जनपद के नैनीसार में देश के एक मशहूर औद्योगिक घराने के निर्माणाधीन स्कूल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि निजी कंपनी की हिमांशु एजुकेशनल सोसाइटी को किस विकल्प के आधार पर जमीन आवंटित की गयी है, इस मामले में चार सप्ताह में जवाब पेश करे।
मामले को नैनीसार बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष विशन सिंह राणा व सामाजिक कार्यकर्ता पीसी तिवारी की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डीके जोशी ने बताया कि सरकार ने 22 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी कर एक मशहूर औद्योगिक घराने से जुड़ी हिमांशु एजुकेशनल सोसाइटी को नैनीसार में जमीन आवंटित कर दी थी। सोसाइटी को वन पंचायत व ग्राम सभा की 7.061 हेक्टेअर उपजाऊ जमीन 30 साल के लिये लीज पर दे दी गयी थी।
श्री जोशी ने आगे बताया कि जमीन आवंटन के मामले में मानकों का घोर उल्लंघन किया गया। इस मामले में स्थानीय ग्रामीणों की सहमति नहीं ली गयी। वन पंचायत व ग्राम सभा की जमीन को बेहद सस्ते मूल्य पर सोसाइटी को लीज पर दे दी गयी। यह भी तय किया गया था कि लीज को कम से कम तीन बार बढ़ाया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से उच्च न्यायालय से मांग की गयी थी कि सरकार के जमीन आवंटन संबंधी आदेश को निरस्त किया जाए।
श्री जोशी ने बताया कि मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ में हुई। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने स्कूल के निर्माण पर चार सप्ताह के लिये रोक लगा दी है। साथ ही सरकार से पूछा है कि सोसाइटी को किस आधार पर जमीन आवंटित की गयी है। सरकार को इस मामले में चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में अल्मोड़ा जनपद के नैनीसार में हिमांशु एजुकेशनल सोसाइटी को जमीन आवंटित की गयी थी। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अल्मोड़ा व आसपास की जनता में काफी आक्रोश फैल गया था। इस मामले को लेकर ग्रामीणों द्वारा कई दिनों तक आंदोलन किया गया था।

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