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गैरसैंण (Gairsain) एक कस्बे से उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी का सफर

Newsdesk Uttranews
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गैरसैंण, 4 मार्च 2020

उत्तराखण्ड राज्य बना नही था उससे पहले ही एक सर्वमान्य राय के तौर पर आंदोलनकारियों ने गैरसैंण (Gairsain) को उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी के तौर पर प्रस्तावित कर दिया था। पेशावर कांड के हीरो रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने सबसे पहले गैरसैंण (Gairsain) को राजधानी बनाने की मांग उठाई थी।

इसके बाद यूकेडी के डीडी पंत और बिपिन त्रिपाठी ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में आंदोलन में शामिल किया। बढ़ते दबाब के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 में में अपर शिक्षा निदेशालय का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रस्तावित राज्य की राजधानी गैरसैंण (Gairsain) बनाये जाने की मांग भी आंदोलन के साथ ही जोर पकड़ रही थी।

1992 में उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो पेशावर कांड के हीरो रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से बाकायदा गैरसैंण को चन्द्रनगर नाम से उत्तराखण्ड की औपचारिक राजधानी घोषित कर दिया था। 1994 में गैरसैंण (Gairsain) राजधानी को लेकर लेकर 157 दिन का क्रमिक अनशन हुआ।

गैरसैंण (Gairsain) नाम तब भी चर्चाओं में आया जब 1994 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की मांग को लेकर रमाशंकर कौशिक समिति बनाई थी जिसने पूरे राज्य के लोगों के साथ रायशुमारी कर गैरसैंण को राजधानी बनाने पर जोर दिया। और राज्य बनने के बाद भी गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी बनाने की मांग कमजोर नही हुई ।

सन् २००० में उत्तराखण्ड महिला मोर्चा ने गैरसैंण (Gairsain) राजधानी की मांग को लेकर खबरदार रैली के माध्यम से सरकार को चेताया। निकाली। २००२ में श्रीनगर में गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर लोगों ने आंदोलन किया। पूरे प्रदेश में गैरसैंण के लिये आंदोलन हुए और गैरसैंण राजधानी आंदोलन समिति के गठन के बाद गैरसैंण (Gairsain) आंदोलन जोर पकड़ने लगा।

सरकार ने इसके बाद जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के चुनाव के लिये दीक्षित आयोग गठित किया। दीक्षित आयोग ने राजधानी के लिए देहरादून, काशीपुर, रामनगर, ऋषिकेश तथा गैरसैण में और लंबे मंथन के बाद 17 अगस्त 2008 को उत्तराखण्ड विधानसभा में इसकी रिपोर्ट पेश की गई तो आंदोलनकारियों को निराशा हाथ लगी।

दीक्षित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में देहरादून और काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया। और विषम भौगोलिक परिस्थिति, भूकंपीय जोन, पानी की उपलब्धता आदि के आधार पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी के लिये अनुपयुक्त बताया। इसके बाद से गैरसैंण (Gairsain) का स्थायी राजधानी पर दावा कमजोर पड़ने लगा।

ग्रीष्मकालीन ही सही राजधानी बन ही गई गैरसैंण

गैरसैंण फिर 2012 में चर्चाओं में तब आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण (Gairsain) में कैबिनेट बैठक आयोजित कर डाली। इसके बाद 2013 में गैरसैण (Gairsain) के जीआईसी मैदान में विधानसभा भवन का शिलान्यास करने के बार फिर गैरसैंण का मुददा ​जोर पकड़ने लगा। और बाद में गैरसैंण से 14 किमी दूर भराड़ीसैंण में यह भवन मूर्त आकार लेने लगा।

२०१४ में इस विधानसभा भवन में उत्तराखण्ड विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र का आयोजन भी किया गया। इसी वर्ष चमोली के विकासखण्ड गैरसैंण और जनपद अल्मोड़ा के विकासखण्ड चौखुटिया को शामिल कर ‘गैरसैंण विकास परिषद’ गठित किया गया। २०१५-२०१६ में गैरसैण को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया।

अब जाकर 4 मार्च 2020 को राज्य सरकार ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया हालांकि राज्य की संघर्षरत ताकते अभी भी गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित किये जाने की मांग उठा रहे है।

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