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Ranikhet:जागदेव वीट क्षेत्र में लगी आग पर 4 दिन बाद पाया जा सका पूर्ण काबू, विभाग के डीएफओ , कर्मचारियों के अलावा सेना की भी लेनी पड़ी मदद

उत्तरा न्यूज टीम
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अल्मोड़ा, 12 अप्रैल 2022- अल्मोड़ा वन प्रभाग के रानीखेत वन क्षेत्र अन्तर्गत जागदेव बीट में 8 अप्रैल को लगी आग पर 4 दिन बाद पूर्ण नियंत्रण पाया जा सका।खुद विभाग के डीएफओ महातिम यादव अपनी टीम और वन विभाग के कर्मचारियों के साथ आग बुझाने में जुटे रहे। बाद में सेना की मदद से आग पर काबू पाया जा सका।यह आग सिमौली और देवली गाॅव से आयी थी। तात्कालिक काबू पाए जाने के बाद 9 अप्रैल को तेज हवाओं और धूप के कारण वनाग्नि पुनः धधक उठी और दलमोटी बीट की ओर बढ़ने लगी।

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प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने बताया कि इस क्षेत्र में कोई भी मोटर मार्ग अथवा ग्रामीण क्षेत्र नहीं था। वन विभाग की लगभग 40 सदस्यीय टीम वनाग्नि रोकथाम का कार्य करती रही, जिसमें कुछ कर्मचारी चौबटिया की ओर तथा कुछ दलमोटी गाॅव की ओर आग बुझाते रहे। वनाग्नि ने विकराल रूप धारण कर लिया था।

सैन्य बलों से मांगना पड़ा सहयोग

डीएफओ यादव ने बताया कि रानीखेत क्षेत्र में स्थित सैन्य बलों से सहयोग मांगा गया।
बाद में जिलाधिकारी, अल्मोड़ा से पत्राचार करते हुए वनाग्नि रोकथाम में सैन्य बलों/अन्य विभागों सेसहयाेग प्रदान करने हेतु अनुरोध किया गया। उक्त इसके बाद जिलाधिकारी, अल्मोड़ा द्वारा तत्काललिखित आदेश जारी करते हुए जागदेव बीट में लगी वनाग्नि की रोकथाम हेतु संयुक्त मजिस्ट्रेट, रानीखेत तथा छावनी परिषद को निर्देशित किया गया।

125 लोगों की टीम जुटी आग बुझाने में

डीएफओ ने बताया कि 10 अप्रैल को रानीखेत स्थित सैन्य बलों से सहयोग प्राप्त हुआ, जिसमें चौबटियास्थित 27- पंजाब रेजीमेंट द्वारा 45 सैनिक उपलब्ध कराये गये। इसी प्रकार 14-डोगरा रेजीमेंट द्वारा भी22 सैनिक उपलब्ध कराये गये। वन विभाग के लगभग 50 कर्मचारी व छावनी के 10 कर्मी आग को काबू करने में लगे रहे।

डीएफओ यादव व उनकी टीम लगी रही रात दिन
प्रभागीय वनाधिकारी, अल्मोड़ा महातिम यादव व वन क्षेत्राधिकारी, रानीखेत हरीश
कुमार टम्टा दिनांक 09 व 10 अप्रैल कोतब पूरे स्टाफ के साथ सुबह से सायं तक आग बुझाने में लगे रहे।डीएफओ यादव ने बताया कि 11अप्रैल को दोपहर तक वनाग्नि पर नियंत्रण पा लिया गया।

कर्मचारी पड़ने लगे हैं बीमार
उन्होंने बताया कि लगातार तीन दिनों से वनाग्नि रोकथाम में लगे वन विभाग के कर्मचारी तथा फायर वाचर का स्वास्थ्य खराब होने लगा एवं बुखार की स्थिति बन रही है। कतिपय ग्रामवासियों की लापरवाही से लगी वनाग्नि के कारण भारी वन संपदा की हानि हुई है तथा वनाग्नि पर नियंत्रण हेतु लगभग 100 से ज्यादा कर्मचारी/फायर वाचर/सैनिक इत्यादि का सहयोग लेना पड़ा।