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संकुल सरस्वती शिशु मंदिर जीवनधाम में धूमधाम से मनाई गयी डॉ. अम्बेडकर जयन्ती

Dr. Ambedkar Jayanti celebrated with fervour at Saraswati Shishu Mandir

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संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर संकुल केन्द्र सरस्वती शिशु मंदिर जीवनधाम अल्मोड़ा में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें याद किया गया।


डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाजसुधारक एवं संविधान निर्माता डॉ० भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती शिशु मंदिर में धूमधाम से मनायी गयी। कार्यक्रम की शुरूवात के मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएल वर्मा और विद्यालय की प्रधानाचार्य पूनम जोशी ने डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ ही पुष्पार्चन किया।

Dr. Ambedkar Jayanti celebrated with fervour at Saraswati Shishu Mandir 1


इस मौके पर मुख्य अतिथि सीएल वर्मा ने कहा कि हमें महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनके आदर्शो पर चलना चाहिए,और हमें
अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए। जाति, धर्म, पंथ तथा छुआछूत से दूर रहकर सभी धर्मो का सम्मान करना चाहिए। कहा कि आगे बढ़ने के लिए त्याग करना आवश्यक होता है तथा मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना करना चाहिए। सीएल वर्मा ने कहा कि अपने माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा का पालन एवं सम्मान करने वाला ही आगे बढ़ता है।

प्रधानाचार्य पूनम जोशी ने अपने संबोधन में विस्तार से डॉ0 अम्बेडकर के जीवनवृत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका जन्मदिन समानता दिवस तथा ज्ञान दिवस के रूप में भी मानाया जाता है। वो बचपन से मेधावी थे। कोलंबिया विश्वविद्यालय से इन्होंने अर्थशास्त्र की उपाधि ली और प्रोफेसर बने। कुरुतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकर 1956 में इन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया। इससे पहले इन्होंने संविधान का निर्माण किया जिसको बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाओं सहित सभी ​विद्यार्थी मौजूद रहे।

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