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बात लोकतंत्र की:: vote के लिए जो प्रलोभन दे या शराब पिलाए वो प्रत्याशी नहीं शिकारी है

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Democracy-The temptation to vote

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उत्तरा न्यूज डेस्क:: लोकतांत्रिक व्यवस्था(democracy) में वोट (Vote)जनता का जनतांत्रिक अधिकार है। इसमें जनता द्वारा जनता की ‌सरकार बनाने की प्रक्रिया है।

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हम सीधे तौर पर अपना मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री मंत्री नहीं चुनते हैं बल्कि अपना प्रतिनिधि(प्रत्याशी) vote से चुनते हैं जो अन्य प्रत्याशियों, दलों के साथ दो तिहाई बहुमत के माध्यम से सरकार चलाते हैं।

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वर्तमान में चुनाव प्रक्रिया का स्वरूप तेजी से बदल गया है, चुनावों को हर हाल में जीतने की रणनीति हावी हो गई है। जिसके बाद चुनावों में मतदाताओं(voters) को प्रभावित करने, प्रलोभन देने की बातें चर्चाओं में हैं।


चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने में शराब का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। चुनाव आयोग(election commission) की सख्ती के बाद भी कई संतानों पर बड़ी मात्रा में शराब व नकदी बरामद हुई है। कहीं प्रेशर कूकर से भरे वाहन पकड़ में आ रहे हैं तो कहीं लोगों के घरों में शराब पकड़ी जा रही है। (Vote)


प्रदेश में 2017 की तुलना में अब तक 2022 में आयोग (election commission)ने दोगुनी शराब और रकम बरामद की हैं। फिलहाल आयोग इस चुनाव में 12 करोड़ 27 लाख रु से अधिक की शराब और रकम बरामद कर चुका है।


इसे देखते हुए यह आशंका जताई जा सकती है कहीं इसका इस्तेमाल मतदाता प्रलोभन के लिए तो नहीं हो रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि शराब के साथ धन का उपयोग भी किया जा रहा है।


चुनाव (election)में स्वस्थ परंपरा देखने की उम्मीद लगाए कई लोग शराब व धन के बढ़ते प्रकोप पर चिंतित हैं।


उनका मानना है कि इससे लोकतंत्र (democracy)में जहां जरूरी मुद्दे गौण हो जाते हैं वहीं एक प्रकार से vote की कीमत वहीं तय हो जाती है, उसके बाद आपका प्रतिनिधि लोकतांत्रिक अंकुश पर नहीं रहता है।
दूसरी ओर शराब के चुनावों में प्रचलन बढ़ने से ‌युवा पीढ़ी भी नशे के गर्त में डूब रही है।

सोशल मीडिया में एक यूजर ने लिखा है “मुफ्त की सस्ती दारू ,स्वास्थ्य, ईमान और परिवार का भविष्य तीनों ख़राब करती है। शराब बाँटने वाले आज आपको शराब पिलाएंगे,कल आपके बच्चों को। ये सिलसिला अनवरत चलता रहेगा और उनके बच्चे आपके बच्चों की कीमत पर अपना भविष्य बनाते रहेंगे। शराब बाँटने वालों को vote देकर आप अपने बच्चों के भविष्य और अपने वर्तमान का सस्ता सौदा कर रहे हैं। इतना सस्ता तो नहीं होगा न आपके बच्चे का भविष्य? शराब बाँटकर वोट माँगने वालों का विरोध करें और अपने वोट से ऐसी प्रवृत्ति पर चोट करें।”


इधर एक अन्य यूजर ने वोट(vote) की कीमत लगाने वालों पर चोट की है लिखा है जब जानवरों की कीमत तक वर्तमान में काफी बढ़ गई है उस दौर आपकी वोट की कीमत क्या लगाई जा रही है।

Vote

वैसे भी वोट (vote)हमारा भविष्य का निर्माण करता है, हम जिसे चुनेंगे उसे ही हमारे यानि जनता के विकास के लिए काम करना होता है। यदि वोट की कीमत शराब या नकदी तय कर दी तो समझिए आपकी वोट की कीमत दे दी गई है।

यदि आप जागरुक हैं तो ऐसा करने वाले की शिकायत भी आयोग के अधिकारियों से कर सकते हैं। अन्यथा ऐसे लोगों को कतई वोट मत करिए क्योंकि वोट के लिए शराब और पैंसा देने वाला प्रत्याशी हो ही नहीं सकता वह केवल और केवल शिकारी है जो शराब और नकदी का जाल फैंककर आपके भविष्य को अपने कुत्सित जाल में फंसाना चाहता है।