सीमापार से पाकिस्तान की ओर से की गई गोलबारी में झुंझुनूं जिले के सुरेंद्र मोगा शहीद हो गए। उनकी 11 साल की बेटी वर्तिका ने कहा कि उसे अपने पिता पर गर्व है। उसने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पापा बहुत अच्छे थे और दुश्मनों को खत्म करके वह खुद शहीद हो गए। वर्तिका ने कहा कि उसने अपनी आखिरी बार पापा से रात 9 बजे बात की थी। उसने पापा को बताया कि यहां ड्रोन उड़ रहे हैं लेकिन हमले नहीं हो रहे और हम सब सुरक्षित हैं।
शहीद सुरेंद्र मोगा की बेटी ने ये भी कहा कि पाकिस्तान का नाम खत्म होना चाहिए। उसने यह भी कहा कि वह बड़ी होकर फौजी बनेगी और पापा की मौत का बदला लेगी। वह आतंकियों को चुन-चुनकर मारेगी। शहीद सुरेंद्र मोगा का पार्थिव देह रविवार को झुंझुनूं के मंडावा पहुंचा। वहां उनके शव को मेहरादासी गांव लाया जा रहा था। इस दौरान कस्बे से गांव तक 10 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। बड़ी संख्या में लोग और युवा मौके पर मौजूद थे।
सुरेंद्र मोगा के पिता भी फौज में थे। उनके परिवार में तीन बड़ी बहनें, एक छोटा भाई, 11 साल की बेटी, पत्नी और 7 साल का बेटा है। सुरेंद्र का चयन भारतीय वायु सेना में 1 जनवरी 2010 को हुआ था। उन्होंने राजस्थान पब्लिक स्कूल और जीआर पब्लिक स्कूल झुंझुनूं से स्कूल की पढ़ाई की थी और मोरारका कॉलेज झुंझुनूं से बीएससी की थी। उनकी तैनाती उधमपुर एयर बेस पर थी और वहीं पाकिस्तान के हमले में वह शहीद हो गए। उनका पार्थिव देह दिल्ली से उनके पैतृक गांव मेहरादासी लाया गया, जहां उनका सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उनकी शहादत को नमन किया।