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काली कुमाऊं के द्वितीय विश्व युद्ध सिपाही का पुत्र दर-दर भटकने को मजबूर

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बूढ़ी मां को मिल रही एकमात्र पेंशन के अलावा नहीं मिल सकी और कोई सुविधा

2006 से लगातार कर रहा आवेदन, दफ्तर दर दफ्तर जा रहा भटकाया

नकुल पंत।

चम्पावत। काली कुमाऊं के ग्राम पंचायत मौनकांडा के तोक सिमली निवासी देवराम के पिता द्वितिय विश्र्व युद्ध सेनानी रहे हैं। इनकी माता नरुली देवी अब उम्र का 70वां पड़ाव पार कर चुकी हैं। परिवार के पास आर्थिक सहायता के रूप में महज मां को मिल रही एकमात्र पेंशन का सहारा है। और इसके अलावा परिवार के हाल बेहाल हैं। परिवार में सदस्यों की संख्या दर्जन भर है। कमाने वाले हाथ बेरोजगार खड़े हैं।

पाटी विकास खंड के मौनकांडा सिमली निवासी द्वितीय विश्व युद्ध सेनानी भौन राम का परिवार आर्थिक तंगी झेल रहा है। परिवार के सदस्य देव राम का कहना है कि उन्होंने बर्ष 2006 से जिले के तमाम विभागों में आवेदन दफ्तर दर दफ्तर किया है। इसके अलावा वह अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखता है तथा द्वितीय विश्व युद्ध सेनानी का पुत्र है। लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते अब तक बेरोजगारी झेलने को मजबूर हैं।

बकौल अब धीरे धीरे उनका परिवार बढ़ता जा रहा है। इसके साथ उनकी पारिवारिक आवश्यकता भी बढ़ रही हैं। लेकिन सरकार की ओर से देश सेवा में जूझे इस परिवार की स्थिति की हमेशा अनदेखी की गई। कहा बूढ़ी मां को मिल रही एकमात्र पेंशन के अलावा नहीं मिल सकी और न ही कोई सुविधा उन्हें मिल रही। बताया कि वह 2006 से लगातार कोटे से चतुर्थ श्रेणी पद के लिए आवेदन कर रहा है। इसके लिए वह पिछले बारह वर्षों से दफ्तर दर दफ्तर भटकता रहा है। इसके चलते उसे अब डेढ़ लाख का कर्ज अलग सिर चढ़ गया है।

कौन थे द्वितीय विश्व युद्ध सेनानी भौन राम

काली कुमाऊं के मौनकांडा निवासी द्वितीय विश्व युद्ध सिपाही भौन राम ने १९५३ से १९४६ तक हिन्दुस्तान आजाद होने से पहले की लड़ाई लड़ी लेकिन चोटिल होने के कारण दोबारा सेना में जाने से असर्मथ रहे। जिसके बाद से यह परिवार आर्थिक तंगी से जूझते रहा। वर्ष १९९२ में इनकी मृत्यु हो गई।