अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा सहित विशेषज्ञों ने पर्यावरण संस्थान को शोध एवं विकास कार्यों के लिए दिये यह सुझाव

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अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल अल्मोड़ा की राष्ट्रीय समिति की बैठक दिनाँक 2 अगस्त को पर्यावरण मन्त्रालय, नई दिल्ली में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौंब की अध्यक्षता में सम्मपन्न हुई। इस बैठक में अल्मोड़ा के सांसद

अजय टम्टा सहित अनेक विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया एवं संस्थान के शोध कार्यों हेतु महत्वूपर्ण सुझाव दिये।

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संस्थान के निदेशक डा0 सुनील नौटियाल ने दिल्ली से लौटकर इसकी विस्तृत जानकारी दी एवं बताया कि सांसद अल्मोड़ा ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे यारसा गम्बू (कीड़ा जड़ी) के अवैज्ञानिक दोहन पर चिन्ता जताई। एवं अपेक्षा की कि संस्थान इस दिशा में शोधकार्य के नतीजे से वैज्ञानिक दोहन के समाधान प्रस्तुत करे। उन्होने पर्वतीय क्षेत्रों में रेशेदार पौधों जैसे भीमल, अलसी, भांग आदि के रेसे से कपड़ा आदि बनाने की अपार सम्भावना जताई एवं इस संबंध में उनके द्वारा शुरू किये गये निट्रा (गाजियाबाद) के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने की बात कही।

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उन्होने चीड़ वनों में प्रतिवर्ष अग्नि की समस्या से निबटने हेतु संस्थान द्वारा पिरूल से बनाये जा रहे उत्पादों -धूम्ररहित कोयला, गत्ता, कागज से निर्मित फाईल कवर आदि की प्रशंशा करते हुए कहा कि पिरूल के उपयोग हेतु चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर ही इनके उत्पाद बनने चाहिए जिससे वनों में अग्नि की रोकथाम के साथ-साथ स्थानीय महिलाओं व ग्रामीणों को रोजगार भी मिल सके। इसके लिए चीड़ की पत्तियों की थ्रेसिंग इकाइयाँ विकेन्द्रीकृत रूप से लगानी होगी। उन्होने इस कार्य हेतु वन विभाग से सहयोग लेने का सुझाव दिया।

संस्थान के निदेशक डा0 नौटियाल ने अपने प्रस्तुतीकरण में उक्त मुद्दों पर किये जा रहे है शोध कार्य से बैठक में सदस्यों को अवगत कराया एवं कहा कि संस्थान इन बहुमूल्य सुझावों पर यथा शक्ति अमल करेगा। इस बैठक में

पश्चिम बंगाल की वन मन्त्री बीरबाहा हसदा, सचिव पर्यावरण मन्त्रालय लीला नंदन, सयुक्त सचिव श्री वाजपेयी, प्रो0 वी0के0 गौड़, पूर्व वन प्रमुख आर0बी0एस0 रावत, महानिदेशक भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद डा0 अरूण रावत, देहरादून, डा0 माओ, निदेशक भारतीय वनस्पति सर्वेंक्षण संस्थान कोलकत्ता, आदि उपस्थित रहे।

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