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अमन की बाल अधिकार संगोष्ठी में बाल प्रतिनिधियों ने कहा बच्चों के अधिकारों के प्रति सजग नहीं हैं सरकारें

उत्तरा न्यूज डेस्क
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गैरसैंण:- संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार समझौता के तीस वर्ष बाद भी लिंग भेद, समान अवसरों की कमी, भ्रूण हत्या, समान शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर व्यापक चर्चा हुई।

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विकास खण्ड सभागार में अमन संस्था द्वारा आयोजित पूर्व क्षेत्र प्रमुख जानकी रावत की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी में  बाल अधिकारों पर सरकारों और तंत्र की उपेक्षा के कारण समस्याओं के बने रहने पर चिंता व्यक्त की। श्रीमती रावत ने ने बाल अधिकारों का प्रमुखता से लिया जाना चाहिए।

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   मुख्य अतिथि नगर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत ने कहा- दूर दराज के क्षेत्रों में अज्ञानता, विषमता, कानून की जानकारी का अभाव और प्रशासन के लचर रवैए के चलते बाल अधिकार बाधित होते हैं, ऐसे क्षेत्रों में काम करने की नितांत आवश्यकता है।


  अमन के सचिव रघु तिवारी ने बाल अधिकार और उससे जुड़ी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा- जब तक भूख, गरीबी और अशिक्षा है बाल अधिकार कानून की किताब में ही कैद रहेंगे। उन्होंने कहा- विश्व परिदृश्य में भारत मूलभूत सुविधाओं के मुद्दों पर पिछड़ना चिंताजनक है।


     हिमाद गोपेश्वर के डा. डीएस पुण्डीर ने कहा- बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कानून के साथ ही सोच भी बदलनी होगी।
  बाल प्रतिनिधियों ने कहा-स्कूल हैं लेकिन शिक्षक नहीं हैं, अस्पताल हैं लेकिन चिकित्सक नहीं हैं, विद्यालयों और गांवों में खेल के मैदान नहीं हैं। शराब का आतंक है जिसके चलते बच्चे सहमे रहते हैं।


गीता जोशी के संचालन में हुई संगोष्ठी में श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम/प्लान के जीतसिंह नेगी, टी पी बी एस के नागेन्द्र, हार्क प्रतिनिधि के बाल प्रतिनिधि विजय लक्ष्मी, दिव्या भारती,  हर्षिता, ग्राम प्रधान अनीता देवी, शेखर जोशी आदि ने विचार व्यक्त किए।
    संगोष्ठी से पहले बच्चों की पोस्टर प्रतियोगिता हुई और विभिन्न विद्यालयों और संस्थाओं ने बाल अधिकार पर रैली आयोजित की।