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Almora- बच्चों ने पत्र के माध्यम से की संस्कृति को बचाए जाने की अपील

Newsdesk Uttranews
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Almora- patr lekhan se ki sanskriti ko bachaye rakhne ki apeel

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अल्मोड़ा, 23 जनवरी 2021
अल्मोड़ा (Almora)
मोबाइल और इंटरनेट के आज के दौर में पत्र लेखन विधा विलुप्ति के कगार पर है। पोस्टमैन, लेटर बॉक्स कभी हमारे बच्चों के लिए एक इतिहास बनकर रह जाएगा।

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यह बात बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान, अल्मोड़ा Almora द्वारा आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए पत्र वाचन कार्यशाला के मुख्य अतिथि इंद्रगढ मध्य प्रदेश़ के शि़क्षाविद्व ज्ञान लेखक तथा साहित्यकार चंद्रप्रकाश पटसारिया ने कही।

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डीजे के बढ़ते प्रचलन तथा हमारी संस्कृति, विषय पर 30 बच्चों द्वारा लिखे गए पत्रों को सुनने के बाद पटसारिया ने कहा कि आज डाकघर तथा देश के दूसरे विभाग तथा संस्थाएं पत्र लेखन विधा को बढ़ावा देने के लिए पत्र लेखन की प्रतियोगिताएं कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि डाक विभाग द्वारा आयोजित पत्र लेखन प्रतियोगिता में उनके पत्र को राट्रीय स्तर पर चयनित किया गया। उन्होंने बच्चों से कहा कि जब हम दुखी होते हैं या हमें गुस्सा आता है। उस समय हम अपने दोस्त को पत्र लिखकर अपना मन हल्का कर सकते हैं।

कार्यशाला के अध्यक्ष मंडल में शामिल राजकीय इंटर कालेज नौकुचियाताल, नैनीताल की कक्षा 12 वीं की छात्रा अरूणा साह ने अपना पत्र पढ़ते हुए कहा कि डीजे संस्कृति के कारण हमारे उत्तराखंड के ढोल दमाऊं, छोलिया नृत्य, झुमैलो तथा मांगलिक गीत व शकुन ऑखर हाशिए पर चले गए हैं।

अध्यक्ष मंडल में शामिल सेंट एंथोनीज सीनियर सेकेंडरी स्कूल उदयपुर राजस्थान की कक्षा 8 वीं की छात्रा भूमिका मेनारिया ने अपना पत्र पढ़ते हुए कहा कि आज शादी विवाह व अन्य समारोहों में दिखावा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भयंकर बीमारी कोरोना ने जहां पूरे देश को बर्बाद कर दिया है वही, कोरोना ने हमें सादगी के साथ विवाह व दूसरे समारोह आयोजित करने की प्रेरणा दी है।

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डायनेस्टी माडर्न गुरूकुल एकेडमी खटीमा के कक्षा 11 वीं के छात्र अभिषेक कुमार ने अपना पत्र पढ़ते हुए कहा कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 45 डेसीबल से अधिक शोर मनुष्य के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि बारात तथा अन्य अवसरों पर लोग 150 डेसीबल यानी बहुत ही ऊंची आवाज में डीजे तथा ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग करते हैं। इससे बहरा होने जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है।

अध्यक्ष मंडल में शामिल गुरूकुलम एकैडमी लोहाघाट की कक्षा 8 वीं की छात्रा आद्या त्रिपाठी ने क्षेत्रीय विधायक को संबोधित पत्र में कहा कि लोग घ्वनि विस्तारक यंत्रों को ऊंची आवाज में चलाते हैं। नियम कानून को ठेंंगा दिखाकर रात देर तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों को चलाते हैं।

उन्होंने प्रस्तावना में अपनी बात करते हुए कहा कि आज ही एक शादी में बहुत ऊंची आवाज में माइक चल रहा था। फोन करने पर शादी करने वाले घर के लोगों ने कहा कि जब सब लोग बजाते हैं। तब हम क्यों ने बजाएं। आद्या ने अपने पत्र में कहा कि कई गांवों में लोग शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं। कई बार डीजे के कारण खुशी नहीं अपितु झगड़ा व तनाव की स्थिति तक आ जाती है। आद्या ने क्षेत्रीय विधायक से देर रात तक चलने वाले डीजे पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रेमा जगाती सरस्वती विहार नैनीताल के कक्षा 11 वीं के छात्र सुदर्शन सोराड़ी ने कहा कि पहले जमाने में विवाह तथा अन्य समारोहों में लोग अपने रिश्तेदारों को इसलिए बुलाते थे कि रिश्तेदार पूरे समारोह को संपन्न कराने में मदद करेंगे, लेकिन अब तो गांव में भी सारे काम ठेके पर दिए जाने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि अब गांवों की बारात में शकुन आंखर व मांगलिक गीत सुनने को नहीं मिलते हैं। न ही पंडित द्वारा कहा जाने वाला गोत्राचार सुनने को मिलता है। लाउडस्पीकर की आवाज में ये सब विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले से बारातों में भजन, कीर्तन, गीत, ढोलक वादन, नृत्य व स्वांग के माध्यम से महिलाएं तथा बच्चे अपनी प्रतिभा दिखाते थे। डीजे ने इन सबको भी हड़प लिया है।

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इस अवसर उत्तराखंड शिक्षा विभाग के उप निदेशक आकाश सारस्वत, बालप्रहरी के संरक्षक श्याम पलट पांडेय, सुधा भार्गव, बैंगलौर से शशि ओझा, भीलवाड़ा से महेश जोशी, गरूड़ से बृजमोहन जोशी, चंपावत से प्रेमप्रकाश पुरोहित, नंदप्रयाग से बलवंत सिंह नेगी, चौखुटिया से पंकज जोशी, डीडीहाट से करूणा पांडे, लखनऊ से डॉ. अर्चना त्रिपाठी, लोहाघाट से डॉ. खेमकरन सोमन, चौखुटिया से प्रमोद दीक्षित आदि ने ऑनलाइन बच्चों की प्रस्तुति को सुना।

प्रारंभ में बालप्रहरी के संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान के सचिव उदय किरौला (Almora) ने सभी का स्वागत किया। अंत में बालप्रहरी के संरक्षक श्याम पलट पांडेय ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी बच्चों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिए गए।

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