Uttarakhand election 2022 – रानीखेत में बीजेपी के टिकट के इंतजार में आम आदमी पार्टी, क्या है कहानी

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आम आदर्मी पार्टी ने अल्मोड़ा जिले की रानीखेत सीट को छोड़कर बांकि सभी 5 सीटो पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। रानीखेत सीट पर प्रत्याशी घोषित ना करने को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। माना जा रहा है कि आम आदर्मी पार्टी यहां पर भाजपा के प्रत्याशी की घो​षणा के बाद ही अपने पत्ते खोलेगी।

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रानीखेत सीट पर कांग्रेस से वर्तमान विधायक करन सिंह माहरा का प्रत्याशी बनना तय है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी से कई उम्मीदवार होने से प्रत्याशी तय करना पार्टी हाईकमान के लिए सरदर्द का काम है। 2017 के चुनाव में तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी करन माहरा ने जीत दर्ज की थी। अब अजय भट्ट नैनीताल से भाजपा सांसद है और साथ ही केंद्रीय मंत्री भी है।

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इस कारण से अब भाजपा के टिकट के लिए कई दावेदारो ने अपनी ताल ठोंक दी है। पिछली बार भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके प्रमोद नैनवाल ने इस बार भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश की हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी। उनकी पत्नी हिमानी नैनवाल भिक्यासैन की ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं।

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इस सीट पर भाजपा से महेंद्र अधिकारी ने भी ताल ठोंकी हुई है वह भी लंबे समय से क्षेत्र में जाकर प्रचार में जुटे हुए हैं। वही जिला पंचायत सदस्य धन सिंह रावत ने भी भाजपा से अपनी दावेदारी पेश की हैं। रानीखेत छात्र संघ के अध्यक्ष रहे धन सिंह पूर्व में ताड़ीखेत के ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं। इसी तरह सोबन सिंह जीना परिसर में इतिहास विभाग के प्रोफेसर ​वीडीएस नेगी ने भी अपनी दावेदारी की है और वह भी क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं। महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा ने भी इस सीट के लिए ताल ठोंकी हुई है।

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छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष मोहन नेगी ने भी रानीखेत सीट पर दावेदारी पेश की है। मोहन नेगी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रह चुके है। वर्तमान में वह व्यापार संघ रानीखेत के अध्यक्ष हैं। अब देखना है कि भाजपा किसे प्रत्याशी बनाती है। पार्टी में ज्यादा दावेदार होने से संगठन के लिये एक सर्वमान्य नाम निकाल पाना चुनौती बना हुआ है।

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भाजपा कतई नही चाहेगें कि 2017 का इतिहास फिर से रिपीट हो, उस समय तो भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट जैसे कददावर नेता चुनावी मैदान में होने के बाद वह अपनी सीट तक नही जीत सके थे। यह तो तय है कि टिकट के बाद बांकी दावेदारों की नाराजगी का सामना तो भाजपा को करना ही होगा। लेकिन किसके नाराज होने से सबसे ज्यादा नुकसान होगा यह आकंलन तो भाजपा संगठन ने कर ही लिया होगा।

दावेदारो में सबसे मजबूत माने जा रहे डॉ प्रमोद नैनवाल को प्रत्याशी नही बनाया गया तो पूरी संभावना है कि आम आदमी पार्टी उन पर डोरे डालने का प्रयास करे। वही यही स्थिति अन्य प्रत्याशियों पर भी लागू हो सकती है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि​ टिकट नही मिलने पर धन सिंह रावत या तो कांग्रेस में शामिल हो सकते है या फिर आम आदमी पार्टी उन्हें अपने साथ ला सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो आम आदमी पार्टी में टिकट का सपना संजाये कार्यकर्ताओं को मायूसी ही हाथ लगेगी।