मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां के ओमती थाना क्षेत्र में स्थित सिविक सेंटर के ऑडिट विभाग में करोड़ों के गबन के मामले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी संदीप शर्मा को पुलिस ने कोर्ट बिल्डिंग के पास से गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी पर ₹20000 का इनाम भी घोषित किया गया था। पूछताछ के बाद संदीप सहित उसकी मां पूनम शर्मा , पत्नी स्वाती, सास मेनुका और बहन श्वेता शर्मा को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया।
संदीप शर्मा ऑडिट विभाग में पे रोल जेनरेशन और बिल क्रिएशन का कार्य करता था। उसने एनएनएस सॉफ्टवेयर में फर्जी बड़ा करते हुए हर माह करीब साढ़े चार लाख रुपये की फर्जी सैलरी अपने खाते में ट्रांसफर की। वास्तविक वेतन से 56 लाख 58 हजार 718 रुपये अधिक की राशि हड़पी गई।
इसके अलावा अर्जित अवकाश समर्पण समूह बीमा योजना और परिवार कल्याण निधि के नाम पर 4 करोड़ 69 लाख 82 हजार 551 रुपये और 57 लाख 87 हजार 447 रुपये की राशि अपने व अपने रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित कर दी।
इस घोटाले में संदीप ने अपने साथियों को भी लाभान्वित किया।
विभाग में कार्यरत अनूप कुमार बोरिया को मात्र 28000 रुपए देकर डीए एरियर मिलना था, लेकिन सॉफ्टवेयर में हेराफेरी कर उसे 2 लाख 53 हजार 800 रुपये दिलवा दिए गए। उपसंचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई और अनूप बौरिया के खातों में भी राशि ट्रांसफर की गई।
इस गबन मामले में 12 मार्च को ओमती थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज करवाया गया था जिसके बाद संदीप वहां से फरार हो गया था और उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने कई जिलों में टीम में भी भेजी थी।
इसी कड़ी में भोपाल के सतपुड़ा भवन स्थित संचालनालय स्थानीय निधि संप्रेक्षण कार्यालय में पदस्थ उपसंचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, अनूप कुमार बौरिया और प्रिया विश्नोई अब भी फरार हैं।
पुलिस ने इन सभी पर भी 20-20 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। आरोपियों की तलाश में पुलिस की कई टीमें गठित की गई हैं।