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Almora- उत्तराखंड राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना को लेकर कार्यशाला आयोजित

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अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के ए.डी.पंत सेंट्रल लाइब्रेरी और राजा राममोहनराय लाइब्रेरी फाउंडेशन, कोलकाता, मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शीर्षक ‘पब्लिक लाइब्रेरीज़ ऑफ कुमाऊं रीजन इन उत्तराखंड: अपॉरचुनिटीनिटी एंड चैलेंजेस’ था, जिसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, मुख्य अतिथि प्रो. ए. पी. सिंह (डायरेक्टर जनरल,राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन,कोलकाता), अतिथि प्रो हेमंत शर्मा (एसओएस, लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन साइंस, पूर्व संकायाध्यक्ष,कला), मुख्य अतिथि डॉ नीजा सिंह (पुस्तकालयाध्यक्ष,टी.एस. स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी,चंडीगढ़), पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल,उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ विभाष कुमार मिश्रा ने किया।

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उद्घाटन सत्र पर कार्यशाला की रूपरेखा रखते हुए पुस्तकालयाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. भीमा मनराल ने कहा कि यह पुस्तकों का दौर है। पुस्तकें हमें ज्ञान के साथ साथ हमें प्रेरित भी क़रतीं हैं। समुदाय में शिक्षा की व्यवस्था की सुचारू बनाने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका और आवश्यकता है। इसी के तहत विश्वविद्यालय में पुस्तकों को लेकर यह राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है। कार्यक्रम सचिव और उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ विभाष कुमार मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन देश में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना एवं विकास को लेकर सहयोग करता आया है। इसी क्रम में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के साथ मिलकर उत्तराखंड राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना को लेकर यह कार्यशाला आयोजित की गई है।

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विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के संरक्षक प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने भारत में सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थिति एवं विस्तार को लेकर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि पब्लिक लाइब्रेरी हमारे ग्राम क्षेत्रों के लोगों को शिक्षा से जोड़ता है। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत में इनकी स्थापना को लेकर हमारा विश्वविद्यालय गंभीरता से सोच रहा है।

उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष रूप में प्रो जी सी साह (अधिष्ठाता शैक्षिक) ने कहा कि पुस्तकालय हमें ज्ञान देता है।शोध में पुस्तकों की आवश्यकता है। क्षेत्र की भाषा , विज्ञान, वनस्पति, संस्कृति से जुड़ने के लिए इनकी स्थापना होनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के कार्यों को लेकर भी बात रखी।

विषय विशेषज्ञ डॉ नीजा सिंह (पुस्तकालयाध्यक्ष,टी एस स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी,चंडीगढ़) ने कहा कि जनता पब्लिक लाइब्रेरी का लाभ उठाएं। पब्लिक लाइब्रेरी हर वर्ग के लोगों के लिए खुलती हैं। सार्वजनिक पुस्तकालयों से जुड़कर जनमानस लाभ उठा सकता है। हर पंचायत में राज्य सरकार सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापनों को लेकर पुस्तकालय एक्ट लेकर आए। पंचायत स्तर पर सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की जाए और समुदाय से जुड़े। कार्यक्रम में संगीत विभाग की छात्राओं ने अतिथियों का स्वागत करते हुए गीत गाया एवं शिक्षा संकाय की छात्राओं ने सहयोग दिया।

कार्यशाला में दो तकनीकी सत्र चलाये गए। प्रथम तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ डॉ नीजा सिंह (पुस्तकालयाध्यक्ष, टी एस स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी,चंडीगढ़) एवं अध्यक्षता प्रो निर्मला पंत ने तथा दूसरे तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ हेमंत शर्मा और अध्यक्षता प्रो अनिल कुमार यादव (निदेशक,ग्रीन ऑडिट) ने की। कार्यशाला का संचालन डॉ चंद्र प्रकाश फूलोरिया ने किया।
इस अवसर पर प्रो जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार निदेशालय), डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट (विश्वविद्यालय विशेष कार्याधिकारी), प्रो इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), प्रो अनिल कुमार यादव (निदेशक, ग्रीन ऑडिट), प्रो के सी जोशी (अधिष्ठाता वित्त/बजट), रघु तिवारी (अमन संस्था), डॉ हरीश जोशी (प्राचार्य,डाइट), प्रो. सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष,दृश्यकला), प्रो निर्मला पंत (विभागाध्यक्ष,अंग्रेजी), डॉ पारुल सक्सेना (विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान), डॉ सबीहा नाज (विभागाध्यक्ष, संगीत), डॉ घनी आर्या, कैलाश छिमवाल (सहायक कुलसचिव), लियाकत अली (विश्वविद्यालय क्रीड़ा प्रभारी), डॉ ललित चंद्र जोशी (विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी), दिनेश पटेल,भावना नगदली, चंद्रजीत यादव, शुभम काण्डपाल, किरण नेगी, श्वेता बिष्ट, वीरेंद्र पथनी, मेहरबान रावत, नंदन सिंह, हरीश नेगी,अनूप बिष्ट, देव सिंह बृजवाल, मोहम्मद रिहान, भावना नागदली, कविता गोश्वामी, शैलजा कार्की, ऋचा कार्की, हिमानी जंगपांगी आदि उपस्थित रहे।