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नायब सिंह सैनी को आखिर क्यों बनाया गया हरियाणा का सीएम? हाई कोर्ट में मांगा जवाब

Smriti Nigam
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पिछले हफ्ते 9 साल से सीएम की कुर्सी संभाल रहे मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। हाई कोर्ट ने सैनी की नियुक्ति को अब चुनौती दी है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सैनी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है।

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हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की बेंच ने इस मामले में केंद्र, राज्य सरकार और चुनाव आयोग से प्रतिक्रिया मांगी है। इस मामले में अगले सनी 30 अप्रैल को की जाएगी। ये सब घटनाक्रम कोर्ट में एक दिन पहले तब हुआ जब आज शाम हरियाणा कैबिनेट का विस्तार होना है।

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मनोहर लाल खट्टर ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद इस्तीफा दिया था और फिर राज्यपाल से सैनिक को हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी।

हरियाणा हाई कोर्ट में सैनिक की नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ वकील जगमोहन सिंह भट्टी का कहना है कि सैनी की सरकार का गठन न सिर्फ अवैध है बल्कि लोकतंत्र के साथ खुले तौर पर धोखाधड़ी भी है।उन्होंने इसके कुछ कारण भी बताए। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या 90 है लेकिन नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने से सदस्यों की कुल संख्या 90 से अधिक हो गई है जो सही नहीं है।

भट्टी का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति अवैध है। इसलिए सैनी के साथ शपथ लेने वाले पांच नए कैबिनेट मंत्रियों  मूल चंद शर्मा, जेपी दलाल, कंवर पाल गुर्जर, बनवारी लाल और रणजीत सिंह चौटाला की भी नियुक्ति को अवैध माना जाना चाहिए।

भट्टी का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के समय सैनी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद भी थे जो कानूनन सही नहीं है। भट्टी का यह भी कहना है कि वह संवैधानिक प्रावधानों और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की बातों का उल्लंघन कर रहे हैं।