shishu-mandir

जलस्रोत पारिस्थितिकी तय करेगी भविष्य की जल संरक्षण की नीति

Newsdesk Uttranews
3 Min Read
photo- uttra news

Water ecosystem will decide the future water conservation policy जल संरक्षण

new-modern
gyan-vigyan

अल्मोड़ा,05 सितंबर 2020— जलस्रोंतो पारिस्थितिकी का अध्ययन एक जटिल प्रक्रिया है और इसे एक जैव-भू तथा भौतिक इकाई मानते हुए इस क्षेत्र में परिकल्पना आधारित शोध अधिक परिणाममूलक होंगे।

saraswati-bal-vidya-niketan
जल संरक्षण
photo- uttra news

यह बात विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने यहां सम्पन्न एक दिवसीय वेब सेमिनार के दौरान कही। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी अल्मोड़ा के मिशन सभागार में गुरूवार को सम्पन्न इस वेबसेमीनार में बड़ी संख्या में देश के जाने माने जल, भू और तकनीकी विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। (जल संरक्षण)

जलस्रोत पारिस्थितिकी को परिभाषित करने और इसके मापन तथा मसौदो पर परिचर्चा करने के उद्देश्य से संस्थान के भू एवंज ल संसाधन प्रबंधन केंद्र द्वारा यह वेबीनार आयोजित किया गया। वेबीनार के संयोजक इंजीनियर किरीट कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस जटिल विषय पर निरंतर मंथन की बात कही। इस अवसर पर जलस्रोत पारिस्थितिकी को परिभाषित करने के लिए अब तक की विभिन्न परिकल्पनाओं और आयामों पर मंथन किया गया। भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में जटिल भूगोल और विविधताओं को इसके पीछे के जटिल कारण बताया गया।(जल संरक्षण)

विषय विशेषज्ञों ने कहा कि इस विविधता के बाद भी इस क्षेत्र में अध्ययन को मानकीकृत करना होगा। वक्ताओं ने कहा कि जल संकट के वैश्विक दौर में जल वैज्ञानिकों के सामने यह संकट है कि वे इस क्षेत्र में अध्ययन के ठोस परिणाम सामने लाए जिससे समाज और पर्यावरण को लाभ हो। संस्थान के निदेशक डाॅ आर एस रावल ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र प्राकृतिक अज्ञैर जलसंसाधनों की विविधता से लैस है और बड़ी संख्या में मानव समाज इस क्षेत्र पर निर्भर है अतः हमें इसे समग्रता में देखना होगा और इस क्षेत्र में परिणाममूलक अध्ययनों और शोध कार्यो को आगे बढ़ाना होगा।(जल संरक्षण)

इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ संदीपन मुखर्जी , इं0 वैभव गोसावी आदि ने विषय केंद्रित प्रस्तुतिकरण दिया। वेबीनार में जाने माने वैज्ञानिक बग्लूरू के प्रो0 वी के गौड़ ने वेबीनार की अध्यक्षता की और वाडिया संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो0 एस के भरतरिया, आईआईटी रूड़की के प्रो0 सुमित सेन, संस्थान के निदेशक डाॅ आर 0 एस 0 रावल, एट्री संस्थान से प्रो0 कृष्णस्वामी, आईआईटी रूड़की से प्रो0 ए0 के सर्राफ, जे0 एन0यू से प्रो0 ए0 पी0 डिमरी, गोविंद बल्लभ पंत संस्थान से श्री रंजन जोशी, डाॅ वसुधा अग्निहोत्री, डाॅ विक्रम नेगी आदि ने वेबीनार में प्रतिभाग किया और विभिन्न रिपोर्ट और शोध अध्ययनों के विषय में परिचर्चा की।