यहां ग्रामीणों ने किया पहाड़ की पौराणिक विरासत घराट का जीर्णोद्धार

Newsdesk Uttranews
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बागेश्वर। उत्तराखंड राज्य स्वयं में अनेक विविधताओं और पौराणिक विरासतों को समेटे हुए है। ऐसी ही एक विरासत घराट (अनाज पीसने की मशीन) के संरक्षण के लिए बागेश्वर जनपद के गरूड़ क्षेत्र निवासी ग्रामीण सामने आए हैं।

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लाहुर घाटी में बसे ग्रामसभा सलखन्यारी के अंतर्गत ग्राम सिरानी के ग्रामवासियों ने मिलकर पहाड़ की पौराणिक विरासत घराट (घट) का जिर्णोद्धार किया। बताते चलें कि सिरानी गांव जिले के काफी दूर पिछड़े इलाके में बसा हुआ है, जहां सिर्फ 19 परिवार ही रहते है़ं।

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यहां के ग्रामीण वर्तमान में भी अनाज पिसने के लिए घराट पर आश्रित हैं। ग्रामीणों ने यहां आपसी सहयोग से एक घराट में इस्तेमाल आने वाले लकड़ी के उपकरणों (फिरक, फितड़) को बदलने के साथ ही घराट की छत और आसपास के स्थान का जीर्णोद्धार किया। ग्रामीण बताते हैं कि इलाके में पहले तीन घराट थे परंतु अब सिर्फ एक ही बचा है। 
घराट के मालिक आन सिंह तुलेरा ने बताया कि यह घराट चार पीढ़ीयों से उपयोग में आ रहा है। घराट में अनाज पीसने के लिए दूर – दूर के गांव के लोग आते थे। अब जमाने में बदलाव आ जाने के कारण लोग बिजली चालित चक्की पर आश्रित हो चुके हैं जिससे पहाड़ की विरासत घराट संंकट में है। 
सिरानी के ग्रामीणों का कहना है कि घराट की इस विरासत को आज भी संजोने की बहुत जरूरत है। प्रशासन को भी इस ओर सहयोग देना चाहिए। घराट के जिर्णोद्धार के कार्य में गुमान सिंह तुलेरा, खीम सिंह तुलेरा, भूपाल सिंह तुलरा, जीवन सिंह तुलेरा , बलवंत सिंह तुलेरा सहित अनेक ग्रामीणों ने सहयोग किया।
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