अल्मोड़ा। शिक्षकों से संबंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की जनपद इकाई के समस्त ब्लॉक व जनपदीय पदाधिकारियों की एक विचार मंथन बैठक शिक्षक भवन लक्ष्मेश्वर में आहूत की गई।
इस दौरान सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि संगठन द्वारा अपने पूर्व लंबित मांगों को लेकर कई बार जिले के अधिकारियों से लिखित व मौखिक वार्ता की गई लेकिन अधिकारी इस विषय पर उदासीन बने हुए हैं।
बैठक में निर्णय लिया गया कि अपने लंबित प्रकरणों को लेकर संगठन के पदाधिकारी 4 फरवरी को मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक दिवसीय धरना देंगे। जिला मंत्री जगदीश भंडारी ने कहा कि जो भी अधिकारी जिले में आते है उनके अपने अलग ही नियम चलते हैं। इनका विभागीय सेवा नियमावली से कोई वास्ता नहीं है, शिक्षा विभाग अधिकारियों की मनमर्जी का अड्डा बना हुआ है। जो पद विभाग में है ही नहीं उन पदों को सृजित कर शिक्षकों से बाबूगिरी करायी जा रही है।
गणेश भण्डारी ने कहा कि नियम विरुद्ध संकुल व विकासखण्ड में प्रभार दिये गये हैं तथा जनपद स्तर में भी नये पद सृजित कर दिये गये हैं। शिक्षकों से केवल शिक्षण का कार्य कराया जाना चाहिए।
वहीं बलवंत अधिकारी ने कहा कि परिषदीय सेवाकाल की भविष्य निधि की धनराशि राजकीयकरण के 17 वर्ष बाद भी संबंधित शिक्षकों के महालेखाकार से आवंटित खातों में हस्तान्तरित न करना व लगातार क देयक संबन्धित प्रकरणों की संख्या का बढ़ना कहीं न कहीं कार्यालय की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह है।
जिलाध्यक्ष किशोर जोशी ने कहा कि शैक्षिक उन्नयन के लिये सभी शिक्षक समर्पित हैं यदि इस प्रकार उनकी जायज मांगों को बेवजह लम्बित रखा जायेगा तो उन्हें आन्दोलन के लिये बाध्य होना ही पड़ेगा। जनपद में लोक सेवक स्थानान्तरण अधिनियम 2017 की धारा- 17 (क) के विरुद्ध स्थानान्तरण आदेश निर्गत किये गये है, जिसमें कुछ शिक्षकों के विद्यालय संशोधित कर दिये गये हैं जबकि कुछ शिक्षकों का वेतन अवरुद्ध कर उनको प्रताड़ित किया जा रहा है जो की बर्दाश्त योग्य नहीं है।