उत्तराखंड पंचायत चुनाव: हाई कोर्ट की हरी झंडी से साफ हुआ चुनाव का रास्ता, धामी सरकार को मिली राहत

नैनीताल। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पिछले कई दिनों से चल रही असमंजस की स्थिति अब पूरी तरह खत्म हो गई है। शुक्रवार…

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नैनीताल। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पिछले कई दिनों से चल रही असमंजस की स्थिति अब पूरी तरह खत्म हो गई है। शुक्रवार को नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार को बड़ी राहत देते हुए पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी है। इस फैसले के बाद अब पंचायत चुनाव का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है और निर्वाचन आयोग जल्द नया कार्यक्रम जारी करेगा।

कोर्ट में क्या हुआ?

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में शुक्रवार को मामले की अहम सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण रोस्टर तय कर दिया गया है और सारी तैयारियां पूरी हैं। कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच के बाद चुनाव की इजाजत दे दी। साथ ही, चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाने का निर्देश भी दिया गया।

क्यों लगी थी रोक?

21 जून को राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन 23 जून को हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाते हुए इस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या आरक्षण रोस्टर और प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के मुताबिक पूरी की गई है।

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बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी थी कि 9 जून को सरकार ने नई आरक्षण नियमावली लागू की और 11 जून को पुरानी रोटेशन प्रक्रिया को शून्य घोषित कर दिया। उनका कहना था कि कई सीटों पर लगातार आरक्षण लागू होने से सामान्य वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा। देहरादून के डोईवाला ब्लॉक का उदाहरण देते हुए बताया गया कि 63% ग्राम प्रधान सीटें आरक्षित कर दी गई हैं। इसके अलावा, जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण तय न होने को लेकर भी सवाल उठाए गए। याचिकाकर्ताओं ने इसे अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताया।

सरकार की ओर से कहा गया कि यह चुनाव पहले चरण के रूप में आयोजित किया जा रहा है, इसलिए नई आरक्षण प्रक्रिया जरूरी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद फिलहाल रोक हटाने का निर्णय लिया। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी उम्मीदवार को आपत्ति है तो वह आगे फिर से कोर्ट का रुख कर सकता है।

हाई कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह तीन दिन बाद से नया चुनाव कार्यक्रम घोषित करे। इसके अलावा, सरकार को याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा।

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