इस समय नैनीताल से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। पंचायत चुनावों पर मामले की सुनवाई आज भी जारी रही। आज सुनवाई के दौरान सरकार ने रोटेशन चार्ट न्यायालय के समक्ष पेश किया।सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
इससे पहले इससे जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने 23 जून को उत्तराखंड में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी थी। यह रोक उस वक्त लगाई गई जब आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था। कोर्ट ने माना कि आरक्षण प्रक्रिया तय नियमों के अनुसार नहीं हुई। इसी वजह से चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर अमल नहीं किया जा सकेगा। शनिवार को ही राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन उससे ठीक पहले हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने की। कोर्ट ने माना कि आरक्षण तय करने की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं रही। साथ ही राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।
इससे पहले कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह आरक्षण से जुड़ी स्थिति स्पष्ट करे। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके उलट सरकार ने चुनाव की तिथि घोषित कर दी। इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दे दिया था।यह मामला बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य द्वारा दाखिल याचिका के जरिए कोर्ट में पहुंचा। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई। इसके बाद 11 जून को नया आदेश जारी कर अब तक लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर दिया गया और नए सिरे से रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया गया। जबकि इस विषय में पहले से हाईकोर्ट की ओर से दिशा-निर्देश दिए गए थे।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में यह भी कहा था कि जिन सीटों पर तीन कार्यकाल से आरक्षण लागू था, उन्हें चौथी बार भी आरक्षित कर दिया गया है। ऐसे में वे लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले हाईकोर्ट की एकलपीठ में भी विचाराधीन हैं। लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि खंडपीठ में 9 जून को जारी नियमों को चुनौती दी गई है। जबकि एकलपीठ में केवल 11 जून के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें नए सिरे से आरक्षण लागू करने की बात कही गई है।
21 जून को राज्य सरकार की ओर से पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रेसवार्ता कर जानकारी दी थी कि हरिद्वार को छोड़ बाकी 12 जिलों में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया था कि सरकार की ओर से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और आयोग को भेज भी दी गई है। अधिसूचना के अनुसार 23 जून को जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव की सूचना जारी करनी थी लेकिन इससे पहले ही हाईकोर्ट का आदेश आ गया।
घोषित कार्यक्रम के मुताबिक 25 से 28 जून तक नामांकन, 29 जून से 1 जुलाई तक जांच, 2 जुलाई को नाम वापसी की अंतिम तिथि और 3 जुलाई को चुनाव चिन्ह का आवंटन होना था। पहले चरण का मतदान 10 जुलाई और दूसरे चरण का मतदान 15 जुलाई को तय किया गया था। मतगणना 19 जुलाई को होनी थी। लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूरे चुनाव कार्यक्रम पर रोक लग चुकी है।