देहरादून। उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ की प्रदेश कार्यकारणी की वर्चुअल बैठक के दौरान संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने उत्तराखंड सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार लम्बे समय से कार्यरत उपनल कर्मचारियों को नियमित नहीं कर रही है। वरन कर्मचारियों के खिलाफ वकीलों की फीस पर ही लाखों रुपये खर्च कर रही है।
शर्मा ने बताया कि उन्हें इस संबंध में आरटीआई में जानकारी प्राप्त हुई है जिसके अनुसार वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद उपनल कर्मचारियों को नियमित न करने और समान कार्य समान वेतन न देने के लिए प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। इस काम के लिए सरकार द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को 20 लाख रुपये प्रति सुनवाई भुगतान किया जा रहा है और अभी तक लगभग चार से पांच सुनवाई हो चुकी हैं। इस प्रकार सरकार अब तक करीब एक करोड़ उपनल कर्मचारियों के विरोध में पैरवी पर खर्च कर चुकी है।
आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार लाखों रुपये उपनल कर्मचारियों के भविष्य को बर्बाद करने में लगा रही है वहीं दूसरी तरफ नवंबर 2021 में धामी कैबिनेट की ओर से प्रोत्साहन भत्ते को मासिक आधार पर देने के निर्णय को अब तक लागू नहीं किया गया है। क्योंकि इस पर 2.75 करोड़ प्रतिवर्ष अतिरिक्त खर्च आ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार प्रोत्साहन भत्ते को प्रतिमाह वेतन में जोड़ देती तो 24 हजार उपनल कर्मचारियों को इस मंहगाई के दौर में थोड़ी राहत जरूर मिलती।