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Uttarakhand election मुद्दा: प्रचार को गांवों के दुरह मार्गों से जाने वालो ! इन मार्गों का सुगम नहीं होने का जिम्मेदार कौन है

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Uttarakhand election 2022

उत्तरा न्यूज डेस्क, 07 फरवरी 2022- उत्तराखंड राज्य बने 22 वर्ष हो गए हैं। वर्तमान में राज्य की 5 वीं विधानसभा के लिए चुनाव चल रहा है।(Uttarakhand election)

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यानि उम्र के लिहाज से राज्य अब शैशवावस्था व किशोरावस्था को पार कर बालिग हो चुका है।
ऐसे में सिस्टम से यह उम्मीद की ही जा सकती है कि राज्य में बिजली, पानी, रास्ते और सड़क जैसी बुनियादी व जीवन की जरूरी सुविधाओं की बहाली हो चुकी होगी। (Uttarakhand election)

लेकिन हालत चुनाव प्रचार के दौरान की फोटो व उद्गार स्थिति की पूरी पोल खोल रही हैं।

2022 का विधानसभा चुनाव (Uttarakhand election)का प्रचार सोशल मीडिया में जम कर दिख रहा है। हर प्रत्याशी के समर्थक जनसंपर्क की ढेर सारी फोटो व वीडियो को सोशल मीडिया में डाल रहे हैं।

साथ ही यह स्टेटस भी डाल रहे हैं कि आज जननायक फलां-फंला गांव में दुरह व दुर्गम मार्ग से होकर गुजरे। यहां जनता का काफी समर्थन मिल रहा है।

अब बात यह है कि आज भी गांवों को जाने के लिए यदि दुरह या दुर्मम रास्ते हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है। किसकी जिम्मेदारी होगी कि गांव तक पहुंचने वाले रास्ते आज भी दुरह हैं।

राज्य में अब तक 4 चुनाव हो चुके हैं, अधिकांश नेता एक से अधिक बार चुनाव जीत चुके हैं। कुछ तो चार बार से विधायक हैं। वाबजूद इसके अधिकांश गांवों से इस प्रकार की फोटो आ रही है जो दुरह हैं और भविष्य के माननीय इन मार्गों से गुजर कर गांवों तक पहुंच रहे हैं या पहले के चुनावों में भी आ चुके हैं।

उत्तराखंड में कई किमी पैदल मार्ग से बीमार लोगों को डोली में लाने की फोटो हो, तेज बारिश में वाहन के इंतजार करती प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला का सड़क में प्रसव होने की घटना हो या खच्चरों में सामान ढोकर गांव तक पहुंचने के लिए हांफते लोग शायद अपनी नीयति पर रो रहें हैं। क्योंकि मुद्दा विहीन हो चुके चुनाव प्रक्रिया के बाद भी इन समस्याओं का अंत हो जाएगा यह कहना जल्दबाजी होगी।(Uttarakhand election)