Almora- शीतलाखेत में ईको टूरिज्म(eco tourism) की संभावनाएं परखने को वन विभाग की टीम ने की पैदल गश्त

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा, 13 जून 2021- शीतलाखेत में इको टूरिज्म(eco tourism) की संभावनाओं को परखने के लिए प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा  महातिम यादव के नेतृत्व में प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय अल्मोड़ा से शीतलाखेत तक पैदल गश्त की गयी।

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 वन विभाग गृह शीतलाखेत तक पैदल टीम खत्याडी, पौधार, सैनार, कोसी नदी होते हुए
भ्रमण किया गया, पद यात्रा का उद्देश्य अल्मोड़ा शीतलाश्वेत पैदल मार्ग में, ईको टूरिज्म (eco tourism)की दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यू प्वाइंट का स्थलीय निरीक्षण ईको टूरिज्यम को बढावा देना तथा ग्रामीण से संवाद कायम करना था।

पदयात्रा का चांण बैंड से संरपच धारी व संरपच चाण, धाम में ग्राम प्रधान भरत व संरपंच पूरन सिह, पूर्व प्रधान खीम सिंह, नौला में प्रधान महेश चन्द्र, संरपच चन्दन सिंह मेहता, सल्ला रौतेला में सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश पाठक, शीतलाखेत में स्थाही देवी विकास मंच से जुड़े कार्यकर्ताओ ने फूल माला भेट कर पद यात्रियों का स्वागत किया।

टीम को पद यात्रा के दौरान ग्राथ सैनार में वीएल  स्याही हल का प्रयोग करते हुये ग्रामीण मिले। ग्रामीणों द्वारा बताया गया की वीएल स्याही हल लकड़ी के परम्परागत हल के मुकाबले हल्का एवम् सस्ता, अधिक टिकाऊ है। तथा इस दल को प्रयोग करने से के पेड़ों का संरक्षण हो रहा है।

टीम को बताया गया कि स्याही देवी क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से चौड़ी पत्तियों का जंगल विकसित हो रहा है, वन विभाग तथा क्षेत्र वासियों के अथक प्रयास से विगत कई वर्षों में वनाग्नि की घटनाएँ नियंत्रण में रही है, जिस कारण से जंगल का स्वरूप चीड़ वन से मिश्रित वन में प्रचलित हो रहा है, तथा वन्य जीव, जैव विविधता में भी वृद्धि हो रही है।

शीतलाखेत स्याही देवी क्षेत्र में ईको टूरिज्म(eco tourism) गतिविधियों को नया आयाम देने के लिये ईको टूरिज्म प्लान बनाया गया है। जिसमें पुराने बटियाओं की मरम्मत, नेचुरल ट्रेल, बर्ड वाचिंग ट्रेल, वाच टावर का निर्माण, साइनेजेज आदि प्रस्तावित है, चौड़ी पत्तियों का जंगल विकसित होने के पश्चात शीतलाखेत आने वाले समय में विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेगा।

बताते चलें कि शीतलाखेत नैनीताल से मात्र 50 किमी की दूरी पर है, यदि यह क्षेत्र रोजगार के नये साधन सृजन करेगा। और स्थानीय लोग जंगली से जुडेंगे अल्मोड़ा शहर की जलापूर्ति के दृष्टिकोण से शीतलाखेत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

 1926 में गुरुत्वाकर्षण शक्ति से अल्मोड़ा शहर को जल आपूर्ति की जा रही है, स्थाही देवी रिजर्व पूरे उत्तरी कुमाँऊ क्षेत्र ( अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ चम्पावत सहित) का सबसे आरक्षित क्षेत्र है। उसको आरक्षित क्षेत्र 1873 में घोषित किया गया, उस वक्त उस जल बागेश्वर का उपयोग लकड़ी, कोयला, की आपूर्ति के लिये किया जाता था।

 तथा उस बटिया का उपयोग कोयले के दुलान हेतु किया जाता था. अब उस बटिया का उपयोग ना होने से बटिया निष्क्रिय हो गयी है।

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 गश्ती टीम में, प्रभागीय वनाधिकारी महोदय अल्मोडा,महातिम यादव, अल्मोड़ा अनुभाग अधिकारी हरीश बिष्ट, अनुभाग अधिकारी शीतलाखेत  लक्ष्मण सिंह नेगी, वन दरोगा, भुवनलाल टम्टा, वन बीट अधिकारी कठपुड़िया त्रिभुवन उपाध्याय, वन बीट अधिकारी शीतलाखेत कुबेर-चन्द्र आर्य, वन बीट अधिकारी सिटोली श्रीमती किरन तिवारी, लालित एवम् श्याम, तथा S.S.J. कैम्प्स अल्मोड़ा के छात्र एवम् छात्राएं मौजूद थे।

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