भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है। ये फैसला इसलिए ज्यादा मायने रखता है क्योंकि अब तक भारत ने पाकिस्तान के साथ तीन युद्धों के बावजूद इस समझौते को कायम रखा था। मगर इस बार भारत सरकार ने ये कदम उठाकर ये साफ कर दिया है कि वह अब किसी समझौते या समझौते के तहत न तो पाकिस्तान के साथ पानी साझा करने को तैयार है और न ही कोई समझौता बरकरार रखने का सोच रही है। भारत का रुख अब बिल्कुल स्पष्ट है— “पानी और खून साथ नहीं बह सकते।”
पाकिस्तान इस कदम से बुरी तरह बौखलाया हुआ है और उसने भारत को परमाणु हमले की धमकी तक दे डाली है। पाकिस्तान के लिए ये मामला बहुत गंभीर है क्योंकि सिंधु जल समझौता उनके पंजाब और सिंध प्रांत की खेती, बिजली परियोजनाएं और पीने के पानी के लिए बेहद अहम था। समझौते के रद्द होने से पाकिस्तान के लिए एक बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस पर सवाल उठता है कि सिंधु नदी का स्रोत कहां है और इसके सहायक नदियां कौन सी हैं जो पाकिस्तान तक जाती हैं।
सिंधु नदी की शुरुआत तिब्बत के कैलाश पर्वत क्षेत्र से होती है, जो मानसरोवर झील के पास स्थित बोखर चू ग्लेशियर से निकलती है। यह नदी पश्चिम की दिशा में बहती है और भारत के लद्दाख क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में प्रवेश करती है और आखिरकार अरब सागर में मिल जाती है। सिंधु नदी की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है, जिसमें 1114 किलोमीटर का हिस्सा भारत में बहता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर ये विवाद अब न केवल राजनीति का मुद्दा बन चुका है, बल्कि ये सीधे तौर पर दोनों देशों के भविष्य को प्रभावित करने वाला है।