दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ अब अभियान तेज कर दिया गया है। अब खुद को भारतीय नागरिक साबित करने के लिए आधार, कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड जैसे डाक्यूमेंट्स मान्य नहीं होंगे।
दिल्ली पुलिस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नागरिकता का सबूत केवल वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट को ही माना जाएगा। ये फैसला केंद्र सरकार की तरफ से लिया गया है जिसका मकसद बढ़ती अवैध घुसपैठ को रोकना है।
पिछले साल से चल रहे वेरिफिकेशन के दौरान दिल्ली पुलिस को यह देखने को मिला कि यहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए आधार,पैन और राशन कार्ड के सहारे भारतीय नागरिक बने हुए हैं।
कई मामलों में उनके पास UNHCR द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड भी पाए गए। इससे असली-नकली की पहचान करना मुश्किल हो गया था। ऐसे में अब वोटर आईडी और पासपोर्ट को ही अंतिम प्रमाण मानने का फैसला किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने सभी जिलों के डीसीपी को आदेश दिया है कि वह अपने क्षेत्र में किसी भी संदिग्ध विदेशी नागरिक की पहचान कर ले और उन पर सख्त निगरानी भी रखें।
दिल्ली में मौजूद 3500 पाकिस्तानी नागरिकों में आपका 400 से ज्यादा लोग वापस जा चुके हैं। विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों पर कार्रवाई की जा रही है जबकि हिंदू शरणार्थियों को लॉन्ग टर्म वीजा के तहत राहत दी गई है।
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में कई कड़े कदम उठाए हैं और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा को रद्द कर दिया है। केवल डिप्लोमेटिक मेडिकल और लॉन्ग टर्म विजा को ही छूट दी गई है लेकिन 29 अप्रैल के बाद मेडिकल वीजा भी अमान्य हो जाएगा।
दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसी को सभी पाकिस्तानी नागरिकों की सूची बनाकर उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस देना है का आदेश दिया गया है।
यह निर्णय न सिर्फ देश की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब दस्तावेज़ी पहचान में किसी भी तरह की चूक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में यह नीति अन्य राज्यों में भी लागू हो सकती है।