नैनीताल। कभी झील में पिता की नाव के हिचकोलों के साथ दिन काटने वाली अस्मिता परिहार आज पूरे नैनीताल की शान बन गई है। नाविक की इस होनहार बेटी ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 98.6 फीसदी नंबर लाकर वो कर दिखाया, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। उसने ना किसी कोचिंग का सहारा लिया, ना ट्यूशन पढ़ी। सिर्फ अपने हौसले, मेहनत और यकीन के दम पर वह नैनीताल के टॉपर्स में शामिल हो गई।
अस्मिता के पिता दीपक परिहार नैनीताल झील में नाव चलाते हैं। मां भागीरथी एक साधारण गृहिणी हैं। आमदनी सीमित है, लेकिन सपनों की उड़ान में कोई कमी नहीं। अस्मिता ने बताया कि वह रोजाना स्कूल से लौटने के बाद तीन-चार घंटे खुद पढ़ाई करती थी। जब भी कुछ समझ नहीं आता, तो यूट्यूब से मदद लेती थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि नैनीताल में उसका नाम टॉप करने वालों में आएगा, लेकिन जब रिजल्ट आया तो आंखों में आंसू थे – खुशी के, गर्व के।
सनवाल स्कूल मल्लीताल की छात्रा अस्मिता ने अंग्रेजी में 91, हिंदी में 97, गणित में 99, विज्ञान और आईटी में 100-100, और सामाजिक विज्ञान में 97 नंबर हासिल किए। स्कूल की प्रिंसिपल ए. इमैनुएल ने कहा कि अस्मिता की मेहनत, शिक्षकों की लगन और माता-पिता के सहयोग का ही नतीजा है कि आज हमारा स्कूल गर्व से सिर उठा रहा है।
अब अस्मिता का सपना है कि वो कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करे और अपने मां-बाप का सिर फख्र से ऊंचा करे। झील में नाव खेने वाले पिता की बेटी आज आगे बढ़ने के रास्ते पर है और उसकी कहानी हजारों बच्चों के लिए एक उम्मीद की रौशनी बन चुकी है।
