पिथौरागढ़ में बोले लोग- हिमालयी सरोकारों की बड़ी क्षति है बहुगुणा (Sundarlal bahuguna) का जाना

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़ (Pithoragarh) सहयोगी, 21 मई 2021- प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा (Sundarlal bahuguna) के निधन से पर्यावरण, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों में शोक की लहर है। उन्होंने इसे पर्यावरण, हिमालय और उसके सरोकारों की बहुत बड़ी क्षति बताया है। ताउम्र पर्यावरण के सजग प्रहरी बहुगुणा के जाने को लोग समाज की न हो सकने वाली भरपाई के तौर पर देखते हैं।

राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद कफलिया उनके साथ बिताये कुछ पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि उनके होने को हिमालय में गांधी के तौर पर देखा जाता था। वह पर्यावरण आंदोलन का एक जाना-माना नाम थे और उनका जाना पर्यावरण आंदोलन का बहुत बड़ा नुकसान है।

कफलिया ने कहा कि जिस तरह पूंजीवादी लोगों ने जंगल को जहां पूरा मुनाफे के तौर पर देखा, वहीं बहुगुणा जी ने नारा दिया कि क्या हैं जंगल ये उपहार-मिट्टी, पानी और बयार। उन्होंने जंगलों को केवल लकड़ी और मुनाफे संसाधन की तरह नहीं देखा बल्कि उसे मिट्टी-पानी और हवा आदि के साथ समग्रता से जोड़ा।

गोविंद कफलिया ने बताया कि वर्षों पहले पिथौरागढ़ में हिमालय अध्ययन केंद्र की ओर से आयोजित गोष्ठी हिमालय बचाओ अभियान में भागीदारी के लिए यहां आए थे। उस दौरान बहुगुणा जी के साथ हिमालय अध्ययन केद्र के निदेशक दिनेश जोशी के साथ हिमालय के पर्यावरण संकट और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

इसके अलावा कुछ अन्य अवसरों पर भी उनसे मुलाकात और मुद्दों पर चर्चाएं होती रहीं। और वह हमेशा पर्यावरण और हिमालयी समाज के मुद्दे पर चिंचित और क्रियाशील नजर आए। उनका जाना हिमालय और उससे जुड़़े सरोकारों की बहुत बड़ी क्षति है।

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