खबरें अब पाए whatsapp पर
Join Now
अल्मोड़ा। इन दिनों उत्तराखंड के जोशीमठ में कई घरों और इमारतों में भूस्खलन के चलते बड़ी दरारें आ गई हैं और सरकार ने उन्हें गिराने का फैसला लिया है।
लेकिन उत्तराखंड में ऐसे भी गांव हैं, जहां का आर्किटेक्चर न केवल पूरे भारत मे बिल्कुल नायाब है बल्कि पर्यावरण के लिहाज से सबसे सुरक्षित माना जाता है। इस आर्किटेक्चर को ‘कोटी बनाल’ कहते हैं। उत्तराखंड में 1991 मे आए विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई, पर इन घरों को जरा भी नुकसान नहीं हुआ।
उत्तराखंड के सीमांत उत्तरकाशी जनपद के रवाईं क्षेत्र के गंगाड़ और ओसला जैसे पांच गांवों में इस तरह के घर दिखते हैं। तीन से चार मंजिला घर भी देवदार की लकड़ी से बनाए जाते हैं। ये आर्किटेक्चर हजारों साल पुराना है।
यहां के घरों सबसे नीचे का तल गाय भैंसों के लिए होता है, सबसे ऊपर के तल में बकरियों रखा जाता है। वहीं, मध्यम तल में परिवार रहता है। इसके ऊपर आनाज का भंडारण होता है। राजगढ़ी, मोरी बड़कोट, पुरोला और टकनोर क्षेत्रों में इसी तरह के मकान बनाए जाते हैं।
पूरी तरह देवदार की लकड़ी से बने इन घरों को सिर्फ आग से खतरा रहता है। वैज्ञानिक भी इन्हें भूकंप के लिहाज से सबसे सुरक्षित मानते हैं। इन गांवों में सिगरेट-बीड़ी पीना प्रतिबंधित है। सभी घर लकड़ी से बने होते हैं, इनमें आग आसानी से लग जाती है। सुरक्षा के बहाने ही सही, ये गांव धूम्रपान से पूरी तरह दूर हैं।