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कोरोना से जंग की रणनीति तैयार करने वाले ग्रुप के चीफ साइंटिस्ट डॉ. शाहिद जमील (Shahid Jameel) का इस्तीफा, सबूतों की अनदेखी करने का आरोप लगाया

Newsdesk Uttranews
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17 मई 2021

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देश में कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप और उसके लक्षणों की पहचान करने वाले देश के कंसोर्टियम के साइंटिफिक एडवाइजर ग्रुप के अध्यक्ष शाहिद जमील ने (Shahid Jameel) अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

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सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ शाहिद पर वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान की जिम्मेदारी थी। शाहिद (Shahid Jameel) के इस्तीफे के साथ वैज्ञानिकों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। लेकिन हाल में ही केंद्र सरकार के साथ अंदरूनी टकराव को उनके इस्तीफे की प्रमुख वजह माना जा रहा है।

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शाहिद ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को इस बारे में जानकारी दी है। इससे पहले सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. जमील (Shahid Jameel) ने कुछ दिन पहले लिखे एक लेख में कहा था कि भारत में अधिकारियों का सेट पॉलिसी के तहत सबूतों की ओर ज्यादा ध्यान नही है।

आर्टिकल में जाहिर की थी डॉ जमील ने अपनी परेशानियां

कुछ दिन पहले न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक लेख डॉ. जमील ने कहा था कि भारत में वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर वह अधिकारियों के अड़ियल रवैये का सामना कर रहे हैं। उन्होनें भारत के कोविड मैनेजमेंट में कई समस्याओं को जिक्र किया था। जिसमें कम टेस्टिंग, वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार और वैक्सीन की कमी शामिल है। इसके उन्होनें हेल्थकेयर वर्क फोर्स भी बढ़ाने की बात भी कही थी।

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डॉ. जमील ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिये उनके किये गये उपायों को लेकर भारत में साथी वैज्ञानिकों का काफी समर्थन मिला। लेकिन उन्हे तथ्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर दिक्कत हो रही है और अधिकारियों को इस पर सेट अड़ियल रवैया है।

बताते चले कि 30 अप्रैल को 800 से ज्यादा भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री से डाटा मुहैया कराने की मांग की थी जिससे वायरस के बारे में अंदाजा लग सके और इस इस आधार पर उसे रोकने के लिये की जा सकें।

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उन्होनें मार्च में ही सरकार को चेताया था कि डाटा के आधार पर फैसला न लेना भी एक और आपदा है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है और जो जानें जा रही हैं, वो कभी न मिटने वाला जख्म का निशान देकर चले जाएगी।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च में ही सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ शाहिद जमील (Shahid Jameel) ने सरकार को इस बाबत चेताया ​था कि देश में नया और संक्रामक वायरस फैल रहा है और इस समय B.1.617 वैरिएंट की वजह से ही देश में कोरोना की इतनी भयंकर लहर देखी जा रही है।

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न्यूज एजेंसी ने सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ शाहिद जमील से सवाल किया कि सरकार इन तथ्यों पर ज्यादा क्यों तेजी नही दिखा रही है तो डॉ. जमील का जबाब था कि हमें यह चिंता है कि अधिकारियों ने पॉलिसी सेट कर ली और इसी के कारण वह सबूतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बताते चले कि अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस के डायरेक्टर और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मान‍ित शाहिद जमील (Shahid Jameel) देश के बड़े वैज्ञानिकों में जाने जाते है। अशोका यूनिवर्सिटी से पहले वह वेलकम ट्रस्ट डीबीटी इंडिया एलायंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर कार्य कर चुके है। वह हेपेटाइटिस ई वायरस में अपने शोध के लिए जाने जाते है।

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डॉ. शाहिद जमील (Shahid Jameel) तीन प्रमुख भारतीय विज्ञान अकादमियों राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत, भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के निर्वाचित सदस्य है। वर्ष 2000 में उन्हें चिकित्सा विज्ञान में योगदान के लिए दिया जाने वाले सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कारों में से एक शांति स्वरूप भटनागर सम्मान से भी नवाजा गया था।

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शाहिद जमील (Shahid Jameel) कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश के बड़े-बड़े अखबारों में अपनी राय देते रहे हैं। हाल ही में उन्होनें न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख भी लिखा था जिसमें कोरोनाकाल के दौरान केंद्र सरकार की कार्यपद्धति पर अपने विचार व्यक्त किए थे तथा कुछ सुझाव भी दिए थे।

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