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स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं-गढ़वाल के जननायको का सामाजिक एवं सांस्कृतिक योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

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पिथौरागढ़। लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ में इतिहास विभाग के द्वारा “स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं-गढ़वाल के जननायको का सामाजिक एवं सांस्कृतिक योगदान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी के दूसरे दिन कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सरोज वर्मा ने बताया कि आज के तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्राध्यापकों एवं शोधकर्ताओं के द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

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इस अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सल्ट के प्राचार्य प्रोफेसर विश्वमोहन पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड में लोगों की सोच एवं व्यवहार में अंतर दृष्टिगोचर हो रहा है। राजकीय महाविद्यालय गरुड़ाबांज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. आर.ए. सिंह ने इस शोध संगोष्ठी में पड़े के शोध पत्रों को संकलित कर पुस्तक का रूप देने की वकालत की गई। डा. दीप चौधरी ने गुमनाम नायकों का जिक्र करते हुए उनके योगदान को याद किया। डा. नीलम नेगी ने गढ़वाल और कुली बेगार आंदोलन में केसर सिंह के योगदान पर प्रकाश डाला।

रवि आनंद सिंह ने लोकगीत एवं साहित्य का राष्ट्रीय चेतना संग्राम में योगदान विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस अवसर पर मोहित उप्रेती, मोहित बिष्ट,डॉ. दिनेश रावत, हन्सा वर्मा, कुमारी शिवानी पांडे, भूपेंद्र सिंह, केतन तिवारी एवं रीता जोशी आदि के द्वारा भी शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर पुष्कर सिंह बिष्ट द्वारा की गई। इस सत्र में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बेरीनाग के प्राचार्य प्रोफेसर सी.डी. सूंठा ने उत्तराखंड के जननायकों एवं समाचार पत्र पत्रिकाओं के समाज में योगदान पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में प्रोफेसर प्रेमलता पंत एवं डॉ. डी.के. मौर्या एवं डॉ. दीपक तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। तकनीकी सत्र की रिपोर्टिंग डॉ. हेम पांडे के द्वारा की गई इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक – डॉ. नरेंद्र सिंह धारियाल डॉ. ममता बिष्ट, डॉ. सतीश चंद्र जोशी, डॉ. सुंदर कुमार, डा.नीलाक्षी जोशी, डॉ. पुष्पा पंत, डॉ. भानु प्रताप सिंह गौतम,डा. मुन्नी पाठक,डा. रूप किशोर द्विवेदी, डॉ. एस.के. आर्य, डा.नवीन सिंह रजवार,डा.अरुण कुमार चतुर्वेदी, डॉ कमलेश भाकुनी डॉ. नंदन सिंह कार्की,डा. अमित कुमार जोशी एवं डॉ धर्मवीर सिंह सहित बड़ी संख्या में शोधार्थियों एवं छात्र छात्राओं ने अपनी प्रतिभागिता की।