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बागेश्वर के दानपुर के विकास के लिए शुरू की गई सत्याग्रह यात्रा पहुंची जिलामुख्यालय,बागेश्वर को विकास प्राधिकरण के दायरे से भी बाहर रखना है एक मांग,संचार,स्वास्थ्य भी राम भरोसे

Newsdesk Uttranews
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बागेश्वर सहयोगी: सीमांत विचला दानपुर में स्वीकृत सड़कों एवं संचार से वंचित 25 गांवों को संचार से जोड़ने की मांग को लेकर गोगिना से बागेश्वर तक ज़िला पंचायत सदस्य शामा हरीश ऐठानी व जिला पंचायत सदस्य बड़ेत वंदना ऐठानी के नेतृत्व में 73 किमी की पदयात्रा आज बागेश्वर जिला मुख्यालय पहुँची.

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इस यात्रा के माध्यम से सीमांत जनपद बागेश्वर को विकास प्राधिकरण से बाहर रखने, स्वीकृत सड़कों, पुलों का निर्माण करने, संचार से वंचित चालीस गांवों को संचार से जोड़ने की मांग को लेकर गोगिना से जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी के नेतृत्व में निकली 73 किमी की पदयात्रा के बागेश्वर पहुंचने पर जिले भर से पहुंचे ग्रामीणों के साथ जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया.

कलक्ट्रेट में आयोजित सभा में नेताओं ने प्रदेश और केंद्र सरकार पर जम कर प्रहार किए. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम अपनी दससूत्रीय मांगपत्र जिलधिकारी के मध्यम से भेजा.

शुक्रवार सुबह कपकोट के पास पनोरा से पदयात्रा जिला मुख्यालय को रवाना हुई। इस दौरान यात्रा में शामिल होने के लिए राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व विधायक कपकोट ललित फ़र्स्वाण, नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवेंद्र परिहार, पूर्व प्रमुख राजेंद्र टंगड़िया, जिला पंचायत सदस्य सुरेश खेतवाल, जिला पंचायत सदस्या गोपा धपोला, जिला पंचायत सदस्या रेखा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य चौनाला अर्जुन भट्ट, चामू सिंह देवली, प्रधान गोगिना शीतला देवी, पूर्व प्रधान कुंदन राम, चतुर लाल, रतिरकेटी प्रधान सुरेंद्र सिंह, पूर्व प्रधान विजय सिंह, पूर्व प्रधान गोगिना प्रवीण सिंह, रमेश सिंह, पुष्कर सिंह, पानुली देवी, हेमा देवी, सरस्वती, दुर्गा, हिमानी, हीरा सिंह कोरंगा, मोहन कोरंगा पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, नरेन्द्र कोरंगा, पूर्व प्रधान बड़ीपन्याली राजेंद्र सिंह, नरेंद्र कोरंगा पूर्व क्षेत्रपंचायत सदस्य, तारा सिंह कार्की, चन्दन सिंह कार्की, प्रवीण सिंह क्षेत्र पंचायत सदस्य नौकोड़ी, पूर्व प्रधान खड़क सिंह, गोकुल देव, करम सिंह दानू, प्रधान बड़ेत भूपेश ऐठानी, विजय घिंघा, नरेंद्र बघरी, खजान बघरी, प्रधान फरसाली भुपाल सिंह कोरंगा, तारा राठौर, दरवान कुँवर आदि सैंकड़ों ग्रामीणों सहित जिले के कांग्रेसी नेता कपकोट पहुंचे. पनोरा से पद यात्रा निकली. सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यात्रा सायं बागेश्वर नगर में पहुंची.


नगर में प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण कलक्ट्रेट पहुंचे जहां पर सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था .परिसर में पहुंच कर प्रदर्शनकारियों ने विकास प्राधिकरण सहित अन्य मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की.

राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा व पूर्व विधायक ललित फ़र्स्वाण ने कहा कि जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी के नेतृत्व में दानपुर के विकास के लिये सत्याग्रह पदयात्रा में उमड़ जन सैलाब सीमांत के दर्द को उजागर कर रहा है। ऐठानी ने कहा कि यदि इसके बाद भी सरकार ने बागेश्वर क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नही किया तो वह देहरादून और दिल्ली में धरना देंगे.

मालूम हो कि 9 जनवरी को जहाँ एक तरफ़ भारी बर्फ़बारी के चलते पहाड़ का जीवन पुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था. बावजूद इसके ऐठानी के साथ लोग बड़ी संख्या में यात्रा में शामिल हुए. शामा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आज फिर एक बार हरीश के रूप में पूर्व मे आंदोलनकारी रहे स्वर्गीय खीम सिंह की याद ताज़ा कर दी. जिस प्रकार उन्होंने सड़क के लिये एक हाथ मे सम्बल व एक हाथ मे मड़वे की रोटी लेकर क्षेत्र को जगाया था, आज उसी तरह भारी बर्फ़बारी मे जहाँ लोगों का अपने घरों से निकलना दूभर हो गया था ऐसे मे ऐठानी ने 25 किमी से अधिक का सफ़र दो से तीन फ़ीट की बर्फ़ मे बिना किसी सहारे के तय किया.

वहीं दूसरी तरफ बड़ेत जिला पंचायत सदस्य वंदना ऐठानी ने कहा कि मेरा पूरा परिवार क्षेत्र के विकास को सदैव प्रयत्नशील रहा है. आज मुझे इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा मिला है तो मेरी सबसे पहली प्राथमिकता क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास रहेगी. जिसके लिये मैं हरसम्भव प्रयासरत रहूँगी. विकास की गति क्या है यह तो जाहिर है लेकिन बागेश्वर के सुदूरवर्ती इलाकों में आज भी हालात 30 साल पहले जैसे ही हैं. एक तरफ सरकार पूरे देश को डिजिटल करने में लगी है तो जिले का एक कोना आज भी डिजटल युग से बहुत दूर है क्योंकि यहाँ के लोग आज भी मोबाईल जैसी सुविधाओं से मरहूम हैं. वंदना का कहना है कि ऐसे हाल में यहाँ के लोग सरकार की सबसे जरूरी योजना इमरजेंसी 108 एम्बुलेंस तक की सुविधा नही ले पाते.

बताते चलें कि संचार क्रांति के इस दौर में बागेश्वर के गांवों की तरफ नजर घुमाने पर लगता है कि अभी इनके लिए संचार क्रांति कोसों दूर है। जिले के डेढ़ सौ अधिक गांवों तक आज भी मोबाइल के सिग्नल नहीं पहुंचा है और दूरस्थ इलाकों में बसे लोगों को हैलो हाय के लिए 15 से 25 किमी जाना पड़ता है.


बीएसएनएल ने क्षेत्र के लोगों को दूर संचार सेवा का लाभ देने के लिए जिले में 18 मोबाइल टावर जबकि यूएसओ (यूनिवर्सल सर्विस अप्लीकेशन) ने नौ टावर खड़े किए हैं, लेकिन इन टावरों की रेंज कम होने के कारण 150 से भी अधिक गांवों में बीएसएनएल के मोबाइल फोनों पर सिग्नल पकड़ते ही नहीं। सिग्नल नहीं आने से खास तौर पर ऊंची पहाड़ियों से घिरे गांवों और उच्च हिमालयी क्षेत्र से जुड़े गांवों के लोगों को लाभ नहीं मिल पाता. ऐसे इलाकों में होने वाली घटनाओं की सूचना भी तहसील प्रशासन को कई बार तीसरे दिन मिल पाती है. इससे समय पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य भी शुरू नहीं हो पाते हैं.


जिले के बोरबलड़ा, कुंवारी, कालो, बाछम, खाती, हरसिंग्याबगड़, नौकोड़ी, शीरी, बड़ेत, हाम्टी कापड़ी, गोगिना, मर्ल्खाडुंगर्चा, रातिरकेठी, माजखेत, लाथी, कन्यालीकोट, जगथाना, पुड़कुनी, पगना, पुंगरघाटी के गांव, लोहारचौरा, भिटारकोट समेत डेढ़ सौ से अधिक गांवों में बीएसएनएल या अन्य किसी भी नेटवर्क की मोबाइल फोन सेवा नहीं है.

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